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________________ १३२ | अमरदीप के नाम पर जिनके पास एक जीर्ण-शीर्ण गुदड़ी है, किन्तु अफसोस है, उन्हें भी कामवासना नहीं छोड़ती। इस प्रकार काम की प्रबलता और अधिकांश साधकों की दुर्बलताएँ देखकर प्रस्तुत अट्ठाईसवें अध्ययन में आद्रक अर्हतर्षि ने कामवासना पर विजय पाने की प्रेरणा देते हुए कहा है छिण्णसोते भिसं सव्वे, कामे कुणह सव्वसो । कामा रोगा मणुस्साणं, कामा दुग्गति-वड्ढणा ॥१॥ णासेवेज्जा मुणी गेहि, एकंतमणुपस्सतो। कामे कामेमाणा, अकामा जंति दोग्गइं ॥२॥ अर्थात्-साधक कामवासना के सभी स्रोतों को एकदम सर्वथा बंद कर दे, क्योंकि काम मनुष्यों के लिए रोग के सदृश है। वे दुर्गति वर्द्धक हैं ॥१॥ निर्जन वन में, एकान्त में रहने वाला मुनि भी गृहस्थी (गृहस्थ के काम-भोगों) का सेवन न करे; क्योंकि काम की कामना करने वाले मनुष्य काम का सेवन न करने पर भी दुर्गति के पथिक बन जाते हैं ॥२॥ ___ साधक जीवन सर्वोत्तम जीवन है, किन्तु उस जीवन में यदि काम प्रविष्ट हो जाता है तो वह उसे निन्दापात्र और वासना का गुलाम निष्कृट जीवन बना देता है । ऐसे विलासी और पामर जीवन से वह स्वयं ही जीते जी असन्तुष्ट रहता है और मरने पर अनेक बार दुर्गतियों में जाकर दुःख पाता है। इसलिए अर्हतर्षि आर्द्रक आत्म-साधना में प्रविष्ट होने वाले साधक को परामर्श देते हैं कि कामवासना के प्रविष्ट होने के जितने भी द्वार हैं, उन्हें बिलकुल बंद कर दो। जिस नौका में जरा-सा भी छेद होता है, उसमें शीघ्र ही पानी घुस जाता है और उसमें बैठे हुए यात्री सहित नौका को ही ले बैठता है । इसी प्रकार जिस साधक की जीवन रूपी नौका में वासना का छिद्र है, उसमें काम रूपी जल तेजी से प्रविष्ट हो जाता है और साधनासहित सारे जीवन को ले डबता है। निर्जनवन में एकान्त में महकने वाला उत्कृष्ट साधक जीवनरूपी पुष्प भी कामराग से आहत होकर एकदम कुम्हला जाता है। यद्यपि ऐसा साधक एकान्त में साधना करता है, परन्तु वहाँ भी यदि वह साधक गृहस्थी के कामभोगों का सेवन करता है तो शीघ्र ही उसकी साधना मिट्टी में मिल जाएगी, उसकी आत्मा का विकास अवरुद्ध हो जाएगा। यदि वह एकान्त में रहकर भी गृहस्थ के संसर्ग में या गृहस्थी के वातावरण में रहता है, तो भी
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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