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________________ की कठोर और दीर्घकालीन साधना की थी। दुर्भाग्य से आज वह विधि प्राप्त नहीं है, आसनों के नाममात्र का उल्लेख मिलता है। ग्रन्थों में उल्लेख है कि श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामी ने बारह वर्ष की 'महाप्राण ध्यान-साधना' की थी। अन्य मुनियों के बारे में भी ऐसे उल्लेख प्राप्त होते हैं। 'सर्व संवर योग ध्यान साधना' का उल्लेख अन्य कई आचार्यों के बारे में मिलता है। किन्तु आगमों में उल्लिखित इन ध्यानयोग साधनाओं का सम्पूर्ण विधि-विधान एवं प्रक्रिया आज उपलब्ध नहीं है। निर्युक्ति साहित्य में जैनसाधना की प्रक्रियाओं का विस्तारपूर्वक निरूपण हुआ है। आचार्य भद्रबाहुरचित आवश्यकनिर्युक्ति में कायोत्सर्ग नाम का एक अध्ययन है, इसमें साधना प्रक्रिया का सांगोपांग वर्णन है। 'कायोत्सर्ग' योग की एक उच्चकोटि की भूमिका है। कायोत्सर्ग के उपरान्त मानसिक एकाग्रता की दूसरी भूमिका ध्यान है। ध्यान का विशद विवेचन जिनभद्रगणीरचित ध्यान शतक में प्राप्त होता है। देवनन्दि पूज्यपादरचित समाधि शतक और इष्टोपदेश आध्यात्मिक अनुभूतियों से भरे शास्त्र हैं। बृहत्कल्पभाष्य, व्यवहारभाष्य आदि ग्रन्थों में भी प्रसंगानुसार आसन, ध्यान आदि की चर्चा हुई है। - विक्रम की आठवीं शताब्दी में जैन योग में एक नये अध्याय का सूत्रपात हुआ। इसके प्रारम्भकर्ता हैं श्री हरिभद्रसूरि । इनके मुख्य ग्रन्थ हैं-योगदृष्टिसमुच्चय, योगबिन्दु, योगशतक और योगविंशिका । इन्होंने योग की प्रचलित पद्धतियों और परिभाषाओं के साथ समन्वय स्थापित किया और जैन योग को एक नई दिशा प्रदान की। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उनका योग-वर्गीकरण मौलिक है। इस रूप में वह न तो जैन आगमों में मिलता है और न अन्य योग- परम्पराओं से उन्होंने उधार ही लिया है। उन्होंने योग के पाँच प्रकार बताये हैं- ( 1 ) अध्यात्म, (2) भावना, (3) ध्यान, (4) समता और (5) वृत्तिसंक्षय । इन पाँच अंगों में योग के आठ अंगों का समावेश हो जाता है। जैसे- अध्यात्म और भावना में- यम-नियम - आसन-प्राणायाम, प्रत्याहार का, ध्यान में-धारणा व ध्यान का, समता व वृत्तिसंक्षय में समाधि 1. अध्यात्म भावना ध्यानं, समता वृत्तिसंक्षयः । मोक्षेण योजनाद् योगः, एष श्रेष्ठो यथोत्तरम् ।। * 20 अध्यात्म योग साधना * - योगबिन्दु 31
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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