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________________ योग की उपयोगिता शरीर और मन की शक्तियों को जागृत करने के लिए योग एक सर्वाधिक उपयोगी साधन है अथवा दूसरे शब्दों में यों भी कहा जा सकता है कि योग के बिना उन शक्तियों को जागृत किया ही नहीं जा सकता, उन शक्तियों का जागरण असम्भव है। इसकी उपयोगिता आत्मिक तो है ही, शारीरिक भी अत्यधिक है। योग- आसनों एवं प्राणायाम से शरीर सम्बन्धी विभिन्न प्रकार के रोग ठीक होते हैं, बल-वीर्य बढ़ता है और शरीर में चुस्ती एवं फुर्ती आती है। साथ ही मानसिक शक्तियाँ भी विकसित होती हैं, स्मृति-शक्ति प्रचण्ड होती है, बौद्धिक शक्ति और क्षमता में वृद्धि होती है। योग की आवश्यकता मानव जीवन में योग की आवश्यकता सदा-सदा से रही है; किन्तु आज और भी ज्यादा है। आज का मानव तनावों में जी रहा है। वह अन्दर से टूट रहा है। यह दशा निर्धनों की ही नहीं, ऐश्वर्यशालियों की भी है। अनेक प्रकार की चिन्ताएँ और भ्रान्तियाँ मानव को खोखला कर रही हैं, कचोट रही हैं। वैज्ञानिक अनुसन्धानों द्वारा उपलब्ध शक्तियों और साधनों का उपभोग करते हुए भी मानव अन्दर ही अन्दर त्रस्त है, भयभीत है; उसकी आत्मा छटपटा रही है। वह बेचैन है; क्योंकि उसकी शान्ति छिन चुकी है, सुख विलीन हो चुका है। इसीलिए वह योग और ध्यान शिविरों में जाता है कि उसके बेचैन मन और अकुलाती हुई आत्मा को शान्ति प्राप्त हो । आज योग की कितनी आवश्यकता है, यह योग और ध्यान शिविरों से जानी जा सकती है, जहाँ सैकड़ों व्यक्ति शिथिलीकरण की मुद्रा में और ध्यान मुद्रा में दिखाई देते हैं। अतः भूतकाल में योग जितना उपयोगी और आवश्यक था, उससे कहीं अधिक आज है और आने वाले कल के लिए यह आज से भी अधिक उपयोगी होगा। अंतः आइये, शरीर एवं मन की शक्तियों को जागृत करने वाली क्रिया का अनुसन्धान करें, मन को तनावों से मुक्त कर शान्ति और प्रसन्नता से भर देने वाली चमत्कारी शान्ति की साधना करें। * मानव शरीर और योग 11
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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