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________________ क्रम योगचक्र ___ ग्लैण्ड्स । जूडो क्यूसोस । सख्या मूलाधार चक्र | पेल्विक फ्लेक्सस स्वाधिष्ठान चक्र एड्रीनल ग्लैण्ड मणिपूर चक्र सोलार फ्लेक्सस अनाहत चक्र थाइमस ग्लैण्ड विशुद्धि चक्र थाइराइड ग्लैण्ड आज्ञा चक्र पिट्यूटरी ग्लैण्ड 7. | सहस्रार चक्र | पिनिअल ग्लैण्ड | सुरगिने (Tsurigane) माइओजो (Myojo) सुइगेट्सु (Suigetsu) क्योटोट्सु (Kyototsu) हिचु (Hichu) ऊतो (Uto) Zust (Tendo) शरीर-वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक इतना तो पता लगा चुके हैं कि इन ग्रन्थियों के स्राव विभिन्न प्रकार के आवेगों के कारण होते हैं। इन्हीं से मनुष्य का व्यक्तित्व बनता है तथा व्यक्तित्व में सन्तुलन आता है। दूसरे शब्दों में किसी मनुष्य के स्वभाव-निर्माण में इन ग्रन्थियों (Glands) और इनके स्रावों का महत्त्वपूर्ण योग होता है; किन्तु इन ग्रन्थियों का शक्ति स्रोत कहाँ है, इसका पता लगाने में वे अभी तक सफल नहीं हो सके हैं। ___यद्यपि आज के विज्ञान ने काफी प्रयोग किये हैं, खोजें की हैं, शरीर के प्रत्येक अवयव का विश्लेषण भी कर लिया है, और अपने अनुसन्धानों से संसार को चमत्कृत भी कर दिया है। फिर भी उनकी सारी खोजें और सारे प्रयास भौतिक धरातल तक ही सीमित हैं, आध्यात्मिक दृष्टि से उनसे कोई विशेष लाभ नहीं हुआ। इस दृष्टि से आज के विज्ञान के सभी प्रयास और प्रयोग दिशाशून्य हैं, न वे मनुष्य की आत्मा को सुख का मार्ग ही दिखा सकते हैं और न शान्ति ही दे सकते हैं; आज भी मानव की आत्मा सुख और शान्ति के लिए व्याकुल है, छटपटा रही है। इस छटपटाहट को मिटाकर मनुष्य को आत्मिक शान्ति अध्यात्म-योग ही दे सकता है। विज्ञान की सीमा यह है कि वह केवल भौतिक शरीर तक ही सीमित है, लेकिन भौतिक शरीर के भी सूक्ष्म, सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम रूपों तक उसकी पहँच नहीं है। शरीर की समस्त क्रियाओं का संचालक कौन है, वहाँ तक उसकी दृष्टि अभी नहीं पहुँच सकी है। शरीर के संचालक मन, बुद्धि, प्राण आदि हैं और आत्मा तो सब का राजा है ही। इसीलिये भारतीय वैदिक मनीषियों ने पाँच प्रकार के शरीर अथवा आत्मा पर पाँच प्रकार के आवरण माने हैं। * मानव शरीर और योग *7*
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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