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________________ त्वचा की सामर्थ्य और महत्त्व मस्तिष्क तो अनेक क्षमताओं और चमत्कारी शक्तियों का पुञ्ज है ही; किन्तु त्वचा की सामर्थ्य और शक्ति भी कम नहीं है। इसका महत्व भी अत्यधिक ___ मानव शरीर की चमड़ी का क्षेत्रफल लगभग 250 वर्ग फुट होता है और वजन 6 पौण्ड (लगभग 2 किलो, 750 ग्राम)। इसकी सबसे पतली तह आँखों पर होती है-लगभग 5 मिलीमीटर और सबसे मोटी तह पैर के तलवों में होती है-6 मिलीमीटर। साधारणतया इसकी मोटाई 3 से 3 मिलीमीटर होती है। इसमें अगणित छेद होते हैं। प्राचीन धर्म-शास्त्रों के अनुसार त्वचा में साढ़े तीन करोड़ रोम होते हैं। त्वचा शरीर के लिए एयर कण्डीशनर का काम करती है, अर्थात् जाड़ों में यह शरीर को गर्म रखती है और गर्मियों में ठण्डा। इसकी छह परतें होती हैं, जो विभिन्न कार्य करती हैं। त्वचा में इतनी अद्भुत क्षमताएँ भरी पड़ी हैं कि यदि उन्हें विकसित कर लिया जाये तो वह अन्य इन्द्रियों का काम भी कर सकती है। त्वचा के द्वारा देखा जा सकता है, सूंघा जा सकता है, सुना जा सकता है, स्वाद लिया जा सकता है और स्पर्श तो उसका प्रमुख कार्य है ही। (1) मास्को में 22 वर्षीया कुमारी रोजा कुलेशोवा ने अपने दाहिने हाथ की तीसरी व चौथी अंगुली में दृष्टि शक्ति की विद्यमानता का परिचय दिया है। उसने अपनी आँखों पर पट्टी बँधवाकर वैज्ञानिकों के सामने अपनी इन दो अंगुलियों द्वारा समाचार-पत्र का एक पूरा लेख पढ़कर सुनाया और फोटो चित्रों को पहचाना। (2) एक 9 वर्षीय लड़की में यह शक्ति और भी बढ़ी-चढ़ी है। यह लड़की खाऊब की श्रीमती ओलगा ब्लिजनोवा की पुत्री है। उसने आँखों पर पट्टी बँधी होने पर हाथ से छूकर शतरंज की काली सफेद गोटों को अलग-अलग कर दिया, रंगीनं कागजों की कतरन की रंग के अनुसार अलग-अलग ढेरी बना दी, रंगीन किताबों को पढ़ दिया। उसने बाँह, कन्धा, पीठ, पैर आदि शरीर के अन्य अवयवों से छूकर भी वैसे ही परिणाम प्रस्तुत किये। इतना ही नहीं, वह दस सेन्टीमीटर दूर रखी वस्तुओं के रंग आदि उसी प्रकार बता देती है, जैसे हम लोग खुली आँखों से बताते हैं। ___ इन परीक्षणों से मनोविज्ञान शाखा के वरिष्ठ शोधकर्ता प्रो. कोन्स्टाटिन प्लातोनोव इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि-मानवीय चेतना-विद्युत की व्यापकता को देखते हुए इस प्रकार की अनुभूतियाँ अप्रत्याशित नहीं है। नेत्रों में जो शक्ति काम करती है, वही अन्यत्र ज्ञानतन्तुओं में काम करती है, उसे विकसित करने *4. अध्यात्म योग साधना
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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