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________________ 5 नवकार महामंत्र की साधना नवकार मन्त्र महामन्त्र है। इसकी शक्ति अमोघ है और प्रभाव अचिन्त्य । इसकी साधना से साधक को लौकिक और पारलौकिक सभी प्रकार की उपलब्धियाँ प्राप्त होती हैं। शारीरिक और मानसिक स्वस्थता तथा शान्ति प्राप्त होती है और आध्यात्मिक उत्कर्ष होता है। कषायों की क्षीणता होती है। साधक वीतरागता की ओर बढ़ता है। अपने अहं का विसर्जन करके साधक अर्हं की स्थिति पर पहुँचने के लिए प्रयत्नशील होता है। अद्भुत वैज्ञानिक संयोजन नवकार महामन्त्र के वर्णों के संयोजन पर विचार करें तो यह बड़ा अद्भुत है, और पूर्ण वैज्ञानिक लगता है। जैन परम्परा इस मन्त्र को अनादि (द्रव्य दृष्टि से) मानती है; किन्तु यदि यह मान भी लिया जाए कि इस मन्त्र का संयोजन किसी महामनीषी ने किया तो उसकी अद्भुत मेधा के सम्मुख नतमस्तक होना ही पड़ता है कि उसने आध्यात्मिक विज्ञान की दृष्टि से तो पूर्ण संयोजन किया ही किन्तु भौतिक विज्ञान की दृष्टि से भी यह पूर्ण है, · खरा है। इसके बीजाक्षरों को जब आप आधुनिक शब्द - विज्ञान की कसौटी पर कसेंगे तो पायेंगे कि इनमें विलक्षण ऊर्जा और शक्ति का भण्डार छिपा है। इस मन्त्र में 5 पद हैं, 35 अक्षर हैं और 68 वर्ण हैं। इन सभी में से प्रत्येक का अपना विशिष्ट अर्थ है, प्रयोजन है, विशिष्ट शक्ति है, ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है; जो आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण है। 1. स्वर और व्यंजन अलग-अलग वर्ण कहलाते हैं। कोई भी व्यंजन स्वर के संयोग से पूर्ण होता है, अन्यथा अधूरा रहता है; जैसे क् +अ = क । इस अपेक्षा से प्रत्येक व्यंजन में दो वर्ण होते हैं; किन्तु स्वर स्वयं पूर्ण होता है, उसे व्यंजन की अपेक्षा नहीं होती, अतः स्वर जैसे 'अ' में एक वर्ण माना जाता है। * नवकार महामंत्र की साधना 373
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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