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जिस प्रकार प्रति सैकिण्ड लाखों प्रकम्पन होने पर ध्वनि तरंगें विद्युत में परिवर्तित हो जाती हैं व्यक्ति के भावों के अनुकूल प्रवाहित होने लगती हैं, उसी प्रकार हजारों-लाखों बार मंत्र की आवृत्ति करने पर, जाप करने पर ही मंत्र इच्छित फल प्रदान करने में सक्षम होता है अथवा साधक की मनोवांछा पूरी होती है।
यह सामान्य मंत्र और उससे इच्छित फल प्राप्ति की प्रक्रिया एवं साधना विधि है।
लेकिन कुछ मन्त्र इन सामान्य मन्त्रों से काफी ऊँचे होते हैं, उनकी शक्ति भी अत्यधिक होती है और प्रभाव भी अचिन्त्य होता है। उनके बीजाक्षरों, शोधन बीजों आदि की संयोजना कुछ ऐसी होती है कि देखने और सामान्य रूप से पढ़ने में तो वे मन्त्र साधारण से लगते हैं, किन्तु उनमें अत्यन्त गुरु- गम्भीर रहस्य भरे होते हैं। उन मन्त्रों के विधिपूर्वक जप और साधना से साधक को ऐसी महान् शक्ति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है, कि साधक स्वयं ही चकित रह जाता है।
प्रत्येक धर्म सम्प्रदाय और परम्परा में अपने - अपने विश्वास के अनुसार कुछ महामन्त्र होते हैं। वैदिक परम्परा का महामन्त्र 'गायत्री' है और मुस्लिम परम्परा अपने मान्य महामन्त्र को 'कलमा' कहती है। इसी प्रकार अन्य सभी परम्पराओं के अपने माने हुए महामन्त्र अलग-अलग हैं।
जैन परम्परा द्वारा मान्य महामन्त्र नवकार है ।
लेकिन कोई मन्त्र महामन्त्र है अथवा नहीं, इसकी मन्त्रशास्त्रसम्मत कसौटियाँ हैं, निष्पत्तियाँ हैं, लक्षण हैं, प्रभाव हैं, शब्द और अक्षर संयोजना है। इन सब कसौटियों पर कसने पर नवकार मन्त्र खरा उतरता है, इसीलिए वह महामन्त्र माना गया है।
नवकार मन्त्र का महामन्त्रत्व
महामन्त्र वह है, जिसकी साधना से -
(1) साधक के विकल्प शान्त हों ।
(2) उसकी मानसिक, आन्तरिक एवं बाह्य शक्तियों का जागरण हो ।
(3) आत्मा का साक्षात्कार हो ।
(4) आत्मिक एवं मानसिक ऊर्जा में वृद्धि हो ।
368 अध्यात्म योग साधना