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र हार्दिक सद्भावनाएं ।
भगवान महावीर के शासन में एक से एक महान विद्वान साधक एवं सन्त हुए हैं। तपस्वी एवं धर्म प्रभावक आचार्य हुए हैं। हर काल हर समय में महानतम आत्मायें अवतरित होती रही हैं। जिन-जिन महापुरुषों की जैसी-जैसी सामर्थ्य थी उसी के अनुरूप जिनशासन की सेवा में अपने मन-वचन-काय का उपयोग किया। बहुत-से लोग तो आश्चर्यजनक प्रेरणायें देकर गए हैं जो हमेशा-हमेशा लाखों-करोड़ों लोगों के लिए आदर्शभूत हैं।
जिन महापुरुषों ने साहित्य जगत में अनवरत कार्य करके भगवान के शासन को दीपाया है उन महापुरुषों में प्रवचन प्रभावक प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म.सा. का नाम कभी भुलाया नहीं जा सकता है। पूज्य प्रवर्तक श्री ने प्रवचन एवं भजनों के माध्यम से लाखों लोगों को जगाया एवं धर्म से जोड़ा है। उसी तरह से आगम सेवा एवं जैन साहित्य सेवा के क्षेत्र में भी अविस्मरणीय कार्य सम्पन्न कर चुके हैं। यह केवल धर्म परिवार के लिए ही नहीं, पूरे जैन समाज के लिए बड़े गौरव का विषय है। आप जैन धर्म शासन के अविस्मरणीय समादरणीय व्यक्तित्व हैं। ___ प्रस्तुत कृति की अपनी अलग ही विशेषता है। उन्होंने लेखन में जिस मनोयोग से कार्य किया है मुझे पूरा विश्वास है कि यह योग ग्रन्थ सभी लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी एवं उपयोगी सिद्ध होगा। ___ आराध्य गुरुदेव श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह राजर्षि श्री सुमति प्रकाश जी महाराज साहब ने प्रस्तुत ग्रत्थ रत्न के सम्बन्ध में हार्दिक-हार्दिक सद्भाव प्रस्तुत किया है और महाराज श्री जी को बधाइयाँ दी हैं।
हम गुरु निहाल परिवार के सभी साधु-साध्वियों की ओर से इस सुन्दर प्रकाशन के लिए हार्दिक-हार्दिक मंगल कामनायें एवं सदभावनाएँ देते हैं। आप द्वारा की गई जैन साहित्य की इस प्रशंसनीय सेवा के लिए हार्दिक-हार्दिक सद्भाव प्रकट करते हैं।
शुभाकांक्षी -डॉ. विशाल मुनि (जैन नगर मेरठ)
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