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तथा भारतीय दर्शनों व धर्मों का गहरा अध्ययन किया। आप एक योग्य विद्वान, कवि
और लेखक के रूप में प्रसिद्ध हुए। आपकी वाणी, स्वर की मधुरता और ओजस्विता तो अद्भुत हैं ही, प्रवचन शैली भी बड़ी ही रोचक, ज्ञानप्रद और सब धर्मों की समन्वयात्मक है। हजारों जैन-जैनेतर भक्त आपकी प्रवचन सभा में प्रतिदिन उपस्थित रहते हैं।
आप समाज की शिक्षा एवं चिकित्सा आदि प्रवृत्तियों पर ज्यादा ध्यान देते हैं। जगह-जगह विद्यालय, गर्ल्स हाईस्कूल, वाचनालय, चिकित्सालय और सार्वजनिक सेवा केन्द्र तथा धर्मस्थानकों का निर्माण आपकी विशेष रुचि व प्रेरणा का विषय रहा है। पंजाब व हरियाणा में गाँव-गाँव में आपके भक्त और प्रेमी सज्जन आपके आगमन की प्रतीक्षा करते रहते हैं। ___पूज्य गुरुदेव प्रवर्तक श्री भण्डारी जी महाराज के स्वर्गारोहण के पश्चात् परम पूज्य शिवाचार्य श्री ने आपको उत्तरभारतीय प्रवर्तक पद पर नियुक्त किया। इस पद पर आप जैसे सर्वथा समर्थ श्रमण की नियुक्ति का सकल जैन जगत ने स्वागत किया। आप श्री के कुशल नेतृत्व में श्रमण संघ विकास के पथ पर अग्रसर है। _' सूत्रकृताँग जैसे दार्शनिक आगम को दो भागों में सम्पादन-विवेचन किया, भगवती सूत्र जैसे विशाल सूत्र का (4 भाग) सम्पादन विवेचन किया है जो आगम प्रकाशन समिति ब्यावर से प्रकाशित हो रहे हैं। आचार्य श्री की अमरकृति “जैन तत्त्व कलिका" विकास को भी आधुनिक शैली में सुन्दर रूप में संपादित किया है। और 'जैनागमों में अष्टांग योग' का भी बहुत ही सुन्दर व आधुनिक ढंग का यह परिष्कृत-परिवर्धित संस्करण 'अध्यात्म योग साधना' के रूप में तैयार किया है।
उपरोक्त साहित्य सेवा के अतिरिक्त आप श्री के कुशल संपादकत्व में 'सचित्र आगम (हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद सहित) श्रृंखला का ऐतिहासिक कार्य लगभग संपन्नता के शिखर पर पहुंच चुका है। आपके इस कार्य को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त सुयश प्राप्त हुआ है। ___ आपकी धर्मप्रभावना, प्रवचन पटुता, ऋजुता, मृदुता आदि सद्गुणों से प्रभावित होकर जैन जगत ने आपको प्रवचन भूषण, श्रुतवारिधि, हरियाणाकेसरी आदि पदों से सम्मानित किया है। आप धर्म की यशः पताका निरंतर फहराते रहें यही शुभ कामना है।
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