________________
9
अनुप्रेक्षा का आशय
एक शब्द है प्रेक्षा; उसका आशय है देखना, गहराई से देखना, तटस्थतापूर्वक देखना, सिर्फ देखना, उसमें कोई चिन्तन-मनन न हो, मात्र प्रेक्षा ही हो; और दूसरा शब्द है अनुप्रेक्षा; 'अनु' उपसर्ग लगते ही प्रेक्षा शब्द का आशय बदल गया, अभिप्राय परिवर्तित हो गया, उसमें चिन्तन-मनन का समावेश हो गया, इस प्रकार अनुप्रेक्षा शब्द का आशय है - बार-बार देखना, गहराई से देखना, चिन्तन-मननपूर्वक देखना, मनन करना, चिन्तन करना और मन, चित्त तथा चैतन्य को उस विषय में रमाना, उन संस्कारों को दृढ़ीभूत करना । '
भावनायोग साधना
अनुप्रेक्षा, सच्चाई को देखना है, सच्चाई पर चिन्तन करना है। अपनी , जो पूर्वधारणाएँ हैं, उन्हें निकालकर पूर्व-संस्कारों को हटाकर जो सत्य है, 'यथार्थ है, वास्तविकता है उसका चिन्तन करना अनुप्रेक्षा है।
1.
अनुप्रेक्षा का अभिप्रेत है - सत्यं प्रति प्रेक्षा, अनुप्रेक्षा । सत्य के प्रति एकनिष्ठ बुद्धि से देखना अनुप्रेक्षा है। अनुप्रेक्षा का सिद्धान्त, वास्तविकता में, सत्य-दर्शन का सिद्धान्त है, सत्य के प्रति एकनिष्ठ समर्पण का सिद्धान्त है, अपनी सभी पूर्वधारणाओं और संस्कारों को नकार कर सत्य को / सच्चाई को ग्रहण करने का, उसे धारण करने का सिद्धान्त है।
(क) अणुप्पेहा णाम जो मणसा परियट्टेइ णो वायाए ।
– दशवै. चूर्णि, पृष्ठ 29 - पठित व श्रुत अर्थ का मन से ( वाणी से नहीं) चिन्तन करना अनुप्रेक्षा है । (ख) शरीरादीनां स्वभावानुचिन्तनमनुप्रेक्षा । - सर्वार्थसिद्धि 9/2/409
- शरीर आदि के स्वभाव का पुनः पुनः चिन्तन करना अनुप्रेक्षा है। (ग) परिज्ञातार्थस्य एकाग्रेण मनसा यत्पुनः पुनः अभ्यसनं अनुशीलनं सानुप्रेक्षा । - कार्तिकेयानुप्रेक्षाटीका 466
- जाने हुए विषय का एकाग्रचित्त से बार-बार चिन्तन- अनुशीलन करना अनुप्रेक्षा है।
* 212 * अध्यात्म योग साधना
•