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________________ जैन आगम, टीका, भाष्य तथा वेद, उपनिषद, महाभारत, गीता, स्मृति आदि धर्मग्रन्थों का गहन तुलनात्मक अध्ययन कर प्रगाढ पाण्डित्य प्राप्त किया। वि.सं. 1969 में पंजाब प्रान्त के उपाध्याय बने। वि.सं. 2003 में पंजाब संघ के आचार्य और फिर अपनी बहुमुखी योग्यता एवं लोकप्रियता के कारण वि.सं. 2009 अक्षय तृतीया को श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रमणसंघ के प्रथम आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए। _ वि.सं. 2018 (ई. सं. 1961) में शारीरिक अस्वस्थता ने जोर पकड़ा और 31 जनवरी 1961 को समता एवं समाधि पूर्वक नश्वर शरीर का त्याग किया। आपश्री की साधना बड़ी उच्चकोटि की व चमत्कारी थी। ज्ञान तो उससे भी अधिक चमत्कारी था। शताब्दियों में ही ऐसा कोई महान् आचार्य पैदा होता है, जो धर्म एवं समाज, राष्ट्र एवं विश्व सभी का आध्यात्मिक उत्कर्ष करने में समर्थ होता है। उस युगपुरुष महान आचार्य को शत-शत नमन! -विजय मुनि शास्त्री *170
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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