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________________ 6 योगजन्य लब्धियाँ योगी साधक, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, तप आदि की साधना द्वारा योग की सिद्धि करता है, मोक्ष प्राप्ति का उपक्रम करता है। इस साधना द्वारा वह चिरकाल के संचित कर्मों का क्षय कर देता है। यही उसका अभीष्ट लक्ष्य होता है। . किन्तु इस कर्म-क्षय की आन्तरिक साधना के प्रभाव बाह्य भी होते हैं। योगी में अनेक विशिष्ट शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं। ये विशिष्ट शक्तियाँ सामान्य जन के लिए दुर्लभ होती हैं इसलिये चमत्कारी प्रतीत होती हैं। अतः जन-साधारण इनकी ओर सरलता से आकृष्ट और प्रभावित हो जाता है। .. इन विशिष्ट शक्तियों को जैन आगम (श्वेताम्बर ग्रन्थों) में लब्धि कहा गया है और दिगम्बर ग्रन्थों में ऋद्धि। पातंजल योगदर्शन में इन्हीं को विभूति' कहा गया है और वैदिक पुराणों में सिद्धि। ____ ये लब्धियाँ अलौकिक (मानसिक) शक्तियों से सम्पन्न और सामान्य मानवों को चकित करने वाली होती हैं। साधक इन लब्धियों द्वारा असम्भव कार्यों को भी सहज रूप से करने में सक्षम हो जाता है। ये सभी लब्धियाँ साधक को योग साधना के कारण प्राप्त होती हैं और योग साधना भारत की तीनों परम्पराओं-जैन, वैदिक और बौद्ध में मान्य है। अतः यौगिक लब्धियों का वर्णन जैन, बौद्ध, वैदिक तीनों परम्पराओं में प्राप्त होता है। 1. क्षिणोति योगः पापानि, चिरकालार्जितान्यति। प्रचितानि यथैधांसि, क्षणादेवाशुशुक्षणिः।। 2. गुणप्रत्ययो हि सामर्थ्यविशेषो लब्धिः। 3. पातंजल योगसूत्र, विभूतिपाद, सूत्र 3 4. श्रीमद्भागवत् पुराण 11/15/1 --योगशास्त्र 1/7 -आव. मल. 1 अ. * योगजन्य लब्धियाँ • 93 *
SR No.002471
Book TitleAdhyatma Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages512
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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