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किसी व्यक्ति का उपचार कर रहा था। अचानक उस रोगी के अंग से रक्त निकलने लगा। उस समय मेस्मर के पास खून रोकने का कोई साधन न था। उसने उस व्यक्ति के अंग पर हाथ फिराया तो उसका रक्त बन्द हो गया। इससे मेस्मर ने यह सिद्धान्त खोज निकाला कि अँगुलियों के अग्रभाग से विद्युत प्रवाह-अदृश्य शक्ति निकलती है जो रोगी में प्रविष्ट होकर रोग को दूर करती है। इस अदृश्य शक्ति का नाम उसने Animal Magnetism (विद्युत प्रवाह) रखा। मेस्मर के नाम पर ही इस सिद्धान्त का नाम मेस्मेरिज्म पड़ गया।
इसके बाद सन् 1841 में मैनचेस्टर के डाक्टर ब्रेड ने यह अनुभव किया कि किसी को प्रभावित करना या कृत्रिम निद्रा में लाना, सूचना शक्ति (Suggestion) पर निर्भर है। उन्होंने इस कृत्रिम निद्रा को Hypnosis नाम दिया। इसी के आधार पर इस विद्या का नाम- Hypnotism पड़ गया।
इन दोनों विधियों से अनेक रोगों के सफल उपचार हुए। फ्रान्स के प्रसिद्ध मनोविज्ञानशास्त्री फ्रायड (Freud) ने तो हिप्नोटिज्म के प्रयोग से अनेक विक्षिप्तों का उपचार कर दिया।
यद्यपि ये दोनों विद्याएँ उस अर्थ में योग नहीं कही जा सकती जिस अर्थ में योग शब्द का प्रयोग भारत में हुआ है। किन्तु इन दोनों विद्याओं का सम्बन्ध सूक्ष्म अथवा तैजस् शरीर से है तथा इन शक्तियों के विकास के लिए चित्त की एकाग्रता आधारभूत है, इसलिये इन्हें आध्यात्मिक योग में नहीं तो भौतिक योग में तो परिगणित किया ही जा सकता है।
मेस्मेरिज्म और हिप्नोटिज्म दोनों में ही प्रयोगकर्ता को अपनी आकर्षण शक्ति बढ़ानी आवश्यक है। आकर्षण शक्ति बढ़ाने की साधना एकान्त कमरे में की जाती है। वहाँ किसी बिन्दु पर टकटकी लगाकर दृष्टि साधना की जाती है। उस समय साधक मन में दृढ़तापूर्वक यह भावना करता है कि 'मेरी आँखों के ज्ञान-तन्तु बलवान हो रहे हैं। मेरे नेत्र आकर्षक और प्रभावशाली हो रहे हैं। मैं निर्भय हूँ। सिर ऊँचा करके सबके सामने देख सकता हूँ। मेरी मनःशक्ति प्रबल है।'
इस प्रकार की साधना का अभ्यास 15 मिनट से लेकर आधा घण्टे तक किया जाता है।
फिर किसी रोगी का उपचार करने के लिए उसे मार्जन (Pass) दिया जाता है। इसके लिए हाथ की अंगुलियों के अग्रभाव से निकलने वाले विद्युत *54 * अध्यात्म योग साधना *