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* ८२ * बारहवाँ बोल : पाँच इन्द्रियों के तेईस विषय
विषयों के विकारों की संख्या कुल २४० है जिनमें श्रोत्रेन्द्रिय के विषयों के १२ विकार + चक्षुरिन्द्रिय के विषयों के ६० विकार + घ्राणेन्द्रिय के विषयों के १२ विकार + रसनेन्द्रिय के विषयों के ६० विकार + स्पर्शनेन्द्रिय के विषयों के ९६ विकार = कुल २४० विकार।
(आधार : प्रज्ञापना पद २३)
प्रश्नावली १. पाँचों इन्द्रियों के कुल कितने विषय हैं? ३. “पाँचों इन्द्रियों के विषय अलग-अलग वस्तु न होकर एक ही मूर्त द्रव्य के
पर्याय हैं।" सोदाहरण स्पष्ट कीजिये। ३. संसार के समस्त पौद्गलिक या मूर्त पदार्थ क्या इन्द्रियगम्य हैं? समझाइए। ४. “पाँचों इन्द्रियों के पाँचों विषय जब सहचरित हैं तब किन्हीं पदार्थों में इन पाँचों
की जानकारी नहीं हो पाती। केवल एक या दो का ही ज्ञान हो पाता है।" ऐसा
क्यों? ५. स्पर्शनेन्द्रिय विषय के लक्षण को स्पष्ट करते हुए उसके भेदों-प्रभेदों का उल्लेख
कीजिए। ६. पाँचों इन्द्रियों के तेईस विषयों के विकारों का उल्लेख कीजिए। ७. मूर्त और अमूर्त पदार्थों से क्या अभिप्राय है? इन्द्रियों का सम्बन्ध किन पदार्थों
से रहता है?