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आगमज्ञान की आधारशिला : पचीस बोल * ५१ *
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सत्य मनोयोग में सत्य सम्बन्धी मन की प्रवृत्ति रहती है जबकि असत्य मनोयोग में असत्य से संदर्भित मानसिक वृत्ति, मिश्र मनोयोग में सत्य-असत्य की मिश्रित मनःप्रवृत्ति तथा व्यवहार मनोयोग में व्यवहार लक्ष्यी मानसिक प्रवृत्ति होती है। इसमें मन की प्रवृत्ति न तो सत्य रूप है और न असत्य रूप है अपितु व्यवहार रूप है। इसमें मन आदेश-उपदेश देने का विचार करता है। वचनयोग
वचन या भाषा की प्रवृत्ति वचनयोग है। इसके भी दो भेद हैं-एक द्रव्य वचनयोग और दूसरा भाव वचनयोग। भाषा वर्गणा के पुद्गल द्रव्य वचनयोग
और इन पुद्गलों की सहायता से भाषा सम्बन्धी आत्मा की प्रवृत्ति भाव वचनयोग है। वचनयोग के चार भेद हैं। यथा
(१) सत्य वचनयोग, (२) असत्य वचनयोग, (३) मिश्र वचनयोग,
(४) व्यवहार वचनयोग। काययोग
काया सम्बन्धी प्रवृत्ति काययोग है। इसके दो भेद हैं-एक द्रव्य काययोग और दूसरा भाव काययोग। काय की प्रवृत्ति हेतु कायावर्गणा के पुद्गल को ग्रहण करना द्रव्य काययोग और इन पुद्गलों के सहयोग से जीव की जो काय प्रवृत्ति होती है वह भाव काययोग है। काया या शरीर की प्रवृत्ति अधिक से अधिक सात प्रकार की हो सकती है इसलिए काययोग के सात भेद हैं। यथा
(१) औदारिक काययोग, (२) औदारिक मिश्र काययोग, (३) वैक्रिय काययोग, (४) वैक्रियक मिश्र काययोग, (५) आहारक काययोग, (६) आहारक मिश्र काययोग, (७) कार्मण काययोग।