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* ३६ ÷ पाँचवाँ बोल : पर्याप्ति छह
परिणत करते हैं और असार पुद्गलों को त्याग देते हैं। इस प्रकार पर्याप्तियाँ जीवों के लिए अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण मानी गई हैं।
( आधार : भगवतीसूत्र, शतक ३, उद्देशक १ )
प्रश्नावली
१. पर्याप्ति के अर्थ - अभिप्राय को स्पष्ट कीजिये ।
२. पर्याप्ति के भेदों का उल्लेख कीजिए ।
३. किन जीवों के कितनी पर्याप्तियाँ होती हैं ?
४. संसारी जीवों में कम से कम और अधिक से अधिक कितनी पर्याप्तियाँ होती हैं?
५. पर्याप्ति के आधार पर जीवों के कितने भेद हो सकते हैं?
६. पर्याप्तियों से जीवों को क्या लाभ होता है?