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दूसरा बोल : जाति पाँच (इन्द्रियों के आधार पर जीवों का वर्गीकरण)
(१) एकेन्द्रिय जाति, (२) द्वीन्द्रिय जाति, (३) त्रीन्द्रिय जाति, (४) चतुरिन्द्रिय जाति, (५) पंचेन्द्रिय जाति।
'जाति' शब्द का अर्थ है-समानता, सदृशता। यानी समान गुणों या लक्षणों वाला समूह या समुदाय जाति कहलाता है। संसार में अनेक पदार्थ हैं उनमें से बहुत से पदार्थ समान लक्षण या समान गुण वाले हैं, ऐसे समान लक्षणों या गुणों वाले पदार्थों को एक समुदाय में रख दिया जाता है। यह समुदाय ही उन समान लक्षणों वाले पदार्थों की जाति कहलाता है। उदाहरण के लिए कुर्सी को ही लीजिए। कुर्सी चाहे लकड़ी की बनी हो या प्लास्टिक, रबड़ या लोह धातु की ही क्यों न हो, संसार की समस्त कुर्सियाँ कुर्सी जाति के अन्तर्गत ही समाविष्ट होंगी। ऐसे ही दूसरे पदार्थों के विषय में समझा जा सकता है।
मानव जाति को ही लीजिए। मनुष्य चाहे गोरा हो, काला हो, भारतीय हो, यूरोपियन हो, अमेरिकन हो, संसार के किसी भी प्रान्त का हो, कहीं भी रहता हो, अन्ततः वह मानव ही है और उसकी जाति मानव जाति है। इसी प्रकार हम पशुओं में अश्व, कुक्कुट, मार्जार, गाय आदि किसी भी पशु के विषय में विचार कर सकते हैं। सारे अश्व अश्व जाति में, कुक्कुट कुक्कुट जाति में, मार्जार मार्जार जाति में, गाय गाय जाति में आदि-आदि समाविष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार संसार में अनन्त जातियाँ हैं। जातियों के आधार पर ही हम संसार के किसी भी पदार्थ का सहजता व सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार 'जाति' संसार के अनेक पदार्थों में समानता इंगित करती है। ___ संसार में अनन्त जीव हैं किन्तु ये अनन्त जीव समान नहीं हैं। यद्यपि समस्त जीवों में चैतन्य गुण आदि समान हैं किन्तु ये गुण किसी में पूर्ण विकसित हैं और किसी में अल्प विकसित हैं जिसके कारण समस्त जीवों में भिन्नताएँ