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* १६० * बाईसवाँ बोल : श्रावक के बारह व्रत
इस प्रकार श्रावक के ये बारह व्रत का प्रत्येक श्रावक-श्राविका को पालन करना चाहिए जिससे उसमें मोह-माया का अंश कम हो और आत्म-साधना में प्रवृत्त होकर मानव जीवन, जो दुर्लभ माना गया है, उसको सार्थक करे।
(आधार : उवासगदशा, अध्ययन १)
प्रश्नावली १. व्रत से क्या तात्पर्य है? व्रत हमारे लिए किस प्रकार से उपयोगी हैं? २. अणुव्रत किसे कहते हैं? यह महाव्रत से किस प्रकार भिन्न है? सोदाहरण
समझाइए। ३. श्रावक से आप क्या समझते हैं? श्रावक के व्रतों का नामोल्लेख कीजिए। ४. पंचाणुव्रत कौन-कौन-से हैं? संक्षेप में इनके स्वरूप को स्पष्ट कीजिए साथ ही
इनके दोषों को गिनाइए। ५. अणुव्रत, गुणव्रत और शिक्षाव्रत के अन्तर को स्पष्ट करते हुए शिक्षाव्रतों के
स्वरूप पर प्रकाश डालिए। ६. गुणव्रत के भेदों को बताते हुए प्रत्येक का वर्णन कीजिए। ७. कर्मादान से आप क्या समझते हैं? यह किस व्रत में आया है?