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________________ * १३८* बीसवाँ बोल : षड्द्रव्य और उनके भेद इन षड्द्रव्यों में केवल काल द्रव्य को छोड़कर शेष पाँचों द्रव्य अस्तिकाय रूप हैं। अस्तिकाय का अर्थ है प्रदेशों का समूह, यानी पाँचों द्रव्य प्रदेश समूहात्मक होने से अस्तिकाय कहलाते हैं। केवल काल ही एक ऐसा द्रव्य है जिसके प्रदेश समूह नहीं होते हैं अतः यह केवल काल द्रव्य कहलाता है। इन द्रव्यों में मूलतः दो द्रव्य हैं-एक जीव द्रव्य और दूसरा अजीव द्रव्य। अजीव द्रव्य के पाँच भेद हैं-(१) धर्म, (२) अधर्म, (३) आकाश, (४) काल, (५) पुद्गल। ये पाँचों द्रव्य और छठा जीव द्रव्य इस प्रकार छहों द्रव्य मिलकर लोक की स्थापना करते हैं। (१) धर्मास्तिकाय (Fulcrum of Motion-फलक्रम ऑफ मोशन) जो धर्म अमूर्तिक, अखण्ड, अदृश्य, लोक में सर्वत्र व्याप्त तथा जीव और पुद्गल के गमन में उदासीन व मूल सहायक हों, वे धर्म द्रव्य (Fulcrum of motion-फलक्रम ऑफ मोशन) हैं। गतिशक्ति जीव और पुद्गल की स्वयं की है परन्तु धर्म उसमें केवल सहकारी कारण बनता है। बिना इसके ये स्वभावतः गतिशील होते हुए भी गति नहीं कर सकते हैं। यह द्रव्य इनके गमनागमन के लिए प्रेरित नहीं करता है, अपितु सहायता करता है। जैसे-जल, मछली को चलने के लिए प्रेरित नहीं करता है केवल चलने में सहायक होता है, मछली तो स्वयं गतिशील है। वैसे ही इस द्रव्य के बिना जीव और पुद्गल की स्थिति बनी रहती है। अतः धर्मास्तिकाय न तो स्वयं चलती है और न किसी को चलाती है। यह तो एक प्रकार से गति का माध्यम (Medium of motion—मीडियम ऑफ मोशन) है। विज्ञान में इसकी तुलना प्रकाशकीय माध्यम (Luminous ether ल्यूमिनस ईथर) से की जा सकती है। वैज्ञानिक ईथर की सत्ता को स्वीकारते हैं। यह ईथर ही एक प्रकार से जैनदर्शन का धर्मास्तिकाय है। ईथर के अभाव में न तरंगें चल सकती हैं, न ध्वनि के परमाणु गमन कर सकते हैं और न विद्युत् तरंगें, न लेसर किरणें आदि गति (Movement-मूवमेण्ट) कर सकती हैं। इतना ही नहीं पशु-पक्षी, मानव आदि सभी क्रियाएँ रुक जायेंगी। सारा लोक जड़वत् स्थिर रह जायेगा। यही बात धर्मास्तिकाय के साथ है। अतः यह एक महत्त्वपूर्ण द्रव्य है। १. "The Nature of Physical World.” –डॉ. ए. एस. एडिंग्टन, पृष्ठ ३१
SR No.002470
Book TitleAgam Gyan Ki Adharshila Pacchis Bol
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarunmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2011
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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