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* १२० * सत्रहवाँ बोल : लेश्या छह
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की प्रेक्षा में हम सफल होते जाते हैं वैसे-वैसे कषाय मंद होते जाते हैं और व्यक्ति के व्यक्तित्व का रूपान्तरण होता जाता है। लेश्या की प्रेक्षा में चैतन्य केन्द्रों पर रंगों का ध्यान किया जाता है। रंगों में श्वेत, पीला और लाल चमकते रंगों का ध्यान किया जाता है जिससे व्यक्ति की अन्तर्वृत्तियाँ निर्मल हो सकें। लेश्याध्यान से व्यक्ति अपना इलाज स्वयं कर सकता है। इससे मानसिक दुर्बलताएँ दूर की जा सकती हैं। भाव और विचारों में गृहीत विकृतियों का शमन ही नहीं, इन्हें रोका भी जा सकता है।
(आधार : उत्तराध्ययनसूत्र, प्रज्ञापना पद १७)
प्रश्नावली १. लेश्याओं का लक्षण बताते हुए उदाहरण द्वारा उनके तारतम्य को समझाइए। २. षड्लेश्याओं से आप क्या समझते हैं? ३. पद्म लेश्या की परिभाषा बताते हुए उसके परिणामों का उल्लेख कीजिए। ४. द्रव्य और भाव लेश्या से क्या तात्पर्य है? ५. किन जीवों में कितनी लेश्याएँ होती हैं? ६. अशुभ और शुभ लेश्याओं के वर्ण, गंध, रस व स्पर्श बताइए। ७. लेश्या की प्रेक्षा से हमें क्या लाभ है?