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________________ ३८ जया देवी : देवीपुराण में देवराज इन्द्र को जया देवी की पूजा व स्तूति करते हुये दिखलाया गया है। (१५/२) ब्रह्मा पर्यन्त देवता उससे उदारता एवं दया की कामना करते हैं। जया देवी को परमतत्व बतलाते हुये पुराणकार कहता है कि योगादि के द्वारा उसका ध्यान किया जाता है एवं तभी परमसिद्धि प्राप्त होती है। (१५/८) अनेक अनुष्ठानों एवं यज्ञविद्याओं द्वारा उसकी पूजा की जाती है एवं उसको अनादि और अनन्त कहा गया है । (१५/६३) एक स्थान पर तो यहां तक कहा हैं कि देवी शिव के शरीर से उत्पन्न हुई हैं एवं अन्यत्र शिव द्वारा प्रपूजित भी कहा है। वह सारे विश्व की माता है । (६/१६) पुराणकार कई राक्षसों के वध का श्रेय इस देवी को देता है। अपने सौम्य स्वरूप में देवी भक्तों एवं बालकों के रोगों को दूर करती है । वात, पित्त, कफ से उद्भुत अनेक रोग देवी पूजा से शान्त हो जाते हैं; दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति बच जाते हैं यहां तक कि विष का प्रभाव भी दूर हो जाता है। सर्पदंश, भूतबाधा, महापातक एवं मस्तिष्क का असन्तुलन आदि असाध्य रोग भी देवी कृपा से ठीक हो जाते है । (६/४१-४३) सर्वमंगला : इस देवी को प्रस्तुत पुराण में कभी मंगला के नाम से एवं (८६/३)' कभी सर्वमंगला नाम से अभिहित किया गया है। (३७/५-२) मुख्य रूप से दानव रुरु के साथ युद्ध एवं उसके वध की कथा इनके साथ जोड़ी गई है । वैसे यह सौम्य प्रकृति की देवी है और संहारक तत्व से रहित है। स्थान स्थान पर पुराणकार उन्हें सुख सौभाग्यप्रदान करने वाली कहता है। परब्रह्म से एकात्म्य स्थापित किया गया है एवं भैरवी, काली, दुर्गा प्रादि भी इसी के रूप बतलाये गये हैं । (८६/३) इनकी पूजा का प्रकार कुछ विशिष्ट ही बतलाया गया है, और इसप्रकार की पूजा विधि सभी सौम्य प्रकृति की देवियों की बतलाई गई है। - १-आश्विन शुक्ल पक्ष में देवी की पूजा एवं उपवास । माघ, श्रावण और चैत्रमास में कृष्ण पक्ष । की अष्टमी से शुक्लपक्ष की अष्टमी तक १६ दिन पूजा होती है। (८६/२) २-ब्राह्मणों, गुरुओं आदि को भोजन एवं उनका आदर सत्कार। ३-स्त्रियों एवं कन्याओं का पूजन और उनको भोजन कराना। ४-देवी के स्तोत्रों का पाठ और विभिन्न नामों से उसकी पूजा।" ५-बलि पूजा और मद्य एवं मांस की बलि देना। ६-होम, वसुधारा दान आदि । ७-सांस्कृतिक कार्यक्रम, रात्रि जागरण, नाट्य, नत्य आदि । १. देवी पुराण-१५/८ ७. देवीपुराण ३७/२-५ २. वही १५/६३ ८. वहो ८६/३ ३. वही ६/१६ ६. बही ४. वही ६/३१-४३ १०. वही ८६/१-१२ .. ५. मंगलारुपिणी देवी अथवा रुरुघातिनीम् । देवीपुराण ८६/-३ ६. वही ८९/१-२५ ११. वही ८६/६
SR No.002465
Book TitleDevi Puranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpendra Sharma
PublisherLalbahadur Shastri Kendriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year1976
Total Pages588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, L000, & L015
File Size11 MB
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