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पृ० ३६४-३६५
अध्याय ६६
श्लोक २६; वेदों का अध्ययन एवं उसके प्रकार और नियम आदि ।
पृ० ३६६-३६७
अध्याय ६७
श्लोक २०; यज्ञों में पशुबलि विधान, लोगों द्वारा नियमों एवं अपवादों का पालन ।
अध्याय ६८
श्लोक ३०;
। पृ० ३६८-३६६ देवी की एकात्मकता; नारायणी, तारा आदि नामों का वर्णन; पवित्रारोपण की विधि .
आनन्द उत्सव । अध्याय ६६श्लोक ४७;
पृ० ३७०-३७३ नन्दा व्रत का विधान एवं फल; देवी के बारह नामों का उल्लेख; सभी व्रतों में ब्राह्मण
भोजन, दान, और कन्यापूजन आवश्यक । अध्याय १००
श्लोक ३०;
पृ० ३७४-३७६ विजया व्रत का विधान एवं देवी प्रशंसा । अध्याय १०१श्लोक ३०;
पृ० ३७७-३७६ नक्षत्र व्रत की विधि एवं फल प्राप्ति ; देवी द्वारा वरदान प्राप्ति । अध्याय १०२--
श्लोक १७;
- पृ० ३८०-३८१. भूमि, स्वर्ण, गाय एवं अन्न दान का फल; देवी तीर्थों का वर्णन, पद-व्रत का विधान । अध्याय १०३
श्लोक ६२;
पृ० ३८२ गोदान की विधि, स्वर्णमयी गौ का दान; गौ में देवी की पूजा। अध्याय १०४
श्लोक २४;
पृ० ३८३-३८४ पृथक्-पृथक् मासों में अलग-अलग द्रव्यों का दान एवं फल, तिल-धेनु दान का माहात्म्य । .. अध्याय १०५
श्लोक १५;
पृ० ३८५-३८६ घृतमयो धेनु की दान विधि एवं फल ।।
श्लोक ७;
अध्याय १०६
जलधेनु की दान विधि एवं फल ।
पृ० ३८७
अध्याय १०७श्लोक ६१;
पृ० ३८८.३६२ देवी का वेद-माता के रूप में वर्णन; वेदों का विभाजन, ऋग्वेद एवं यजुर्वेद की
शाखाओं का वर्णन; उपवेदों का वर्णन । अध्याय १०८श्लोक ३७;
पृ० ३६३-३६५ पायुर्वेद की प्रशंसा; रोग के कारण बताना।