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अध्याय १०६श्लोक ८; .
पृ० ३६६ विभिन्न प्रकार के भोजनों का विवरण और उनका मानव शरीर पर प्रभाव । अध्याय ११०श्लोक ११;
पृ० ३६८-४०५ विभिन्न प्रकार के भोजनों के नाम निर्देश, कन्द, मूल फल, और मानव शरीर के लिए
लाभप्रद और हानिप्रद ओषधियों के नाम । आयुर्वेद प्रशंसा । - अध्याय १११श्लोक १६; .
१० ४०२-४०३ खट्वासुर की उत्पत्ति; उसकी तपस्या एवं देवताओं के साथ युद्ध । अध्याय ११२श्लोक २०;
१० ४०४-४०५ विष्णु के द्वारा गजानन की उत्पत्ति; गजानन के शरीर में विभिन्न देवताओं का निवास । अध्याय ११३
श्लोक १२;
..पृ० ४०६-४०७ विष्णु द्वारा गजानन की स्तुति; महेश द्वारा गजानन को देवताओं के कष्ट निवारण हेतु
भेजना।
अध्याय ११४श्लोक १०;
पृ० ४०८ ब्रह्मा एवं विष्णु द्वारा गणेश की पूजा; विभिन्न प्रकार के द्रव्यों का निवेदन; महेश द्वारा
विनायक नामकरण तथा देवताओं का सेनापति बनाना।। अध्याय ११५श्लोक ११:
पृ० ४०६ विनायक का उदयाचल आना एवं विघ्नासुर का वध । अध्याय ११६श्लोक ६६;
पृ० ४१०-४१७ ब्रह्मा से विध्नासुर की उत्पत्ति; विष्णु द्वारा देवी स्तुति, मातृपूजा द्वारा हरिश्चन्द्र की
रक्षा। अध्याय ११७
श्लोक १२;
__ पृ० ४१८ ___मातृपूजा का महत्त्व; सूर्य के कन्याराशि में स्थित होने पर विशेष महत्त्व । अध्याय ११८श्लोक २३;
पृ० ४१६-४२० देवी के नये मन्दिरों का निर्माण व पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार; प्रतिमा संस्कार एवं
मन्दिर संस्कार के मन्त्र; मदिरा, मांस आदि का समर्पण; जीर्णोद्धार का विशिष्ट फल । अध्याय ११६श्लोक ७५;
पृ० ४२१-४२६ खट्वासुर वध के उपरान्त शिव द्वारा भयंकर भैरवरूप ग्रहण; बांये हाथ में खट्वांग
एवं दाये हाथ में कपाल तथा गले में मुण्डों की माला । अध्याय १२०श्लोक २०;
पृ० ४२७-४२८ पद माला के उच्चारण से शरीर शुद्धि; यम-नियम आदि का पालन; ओर विभिन्न प्रायश्चित व्रतों का विधान ।