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श्लोक २६
रुरु का वध करने की विधि का कथन ब्रह्माणी की उत्पत्ति । श्लोक ८२
ग्रहों की उत्पत्ति; शिव की स्तुति विभिन्न मातृकाओं की उत्पत्ति ।
श्रध्याय ८४-
अध्याय ८५
श्लोक ३५
शिव की प्रशंसा, विष्णु द्वारा गीता का उपदेश ।
श्रध्याय ८६-
श्लोक ३४६
देवताओं द्वारा देवी एवं मातृकाओं की स्तुति ।
अध्याय ८७
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पृ० ३१३-३१४
पू० ३१५-३१६
श्रध्याय ८८
श्लोक १३:
देवी द्वारा रुरु का वध; अन्त्यजों पापियों, पाषण्डियों द्वारा देवी की प्रशंसा शैवागम, गरूड तन्त्र, भूत तन्त्र और काल का वर्णन । देवी संसार की प्रेरणा श्लोक २५;
अध्याय ८
पृ० ३२७-३२८
सर्वमंगला देवी का पूजन विधान; कृष्णाष्टमी से शुक्ल नवमी तक देवी पूजा; पशु बलि रथयात्रा, कन्या पूजन और ब्राह्मण भोजन का विधान ।
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पृ० ३२०-३२२
पृ० ३२३-३२५
श्लोक २७१
अध्याय ६०पृ० ३२-३३० देवी पूजा के विभिन्न स्थान; प्रतिमा एवं मन्दिर निर्माण मन्दिरों में सामग्री दान; प्रतिमा पूजन; वैदिक मन्त्रों द्वारा देवी पूजन ।
अध्याय ६५
पृ० ३२६
शाक्तागम,
स्रोत ।
श्लोक ८३
अध्याय ६१
शूद्रों एवं स्त्रियों द्वारा देवी की पूजा; पुस्तक छत्र धादि का देवी भक्तों को दान । श्लोक १५;
अध्याय ९२
१० ३३६-३३७ देवी का विन्ध्याचल में निवास; नन्दा अवतार देवी पूजा का माहात्म्य, मन्त्र, द्रव्य, क्रिया और ध्यान की महिमा |
१० ३३१-३३५
श्रध्याय ९३
श्लोक २९५
पृ० ३३८-३५५
शिव द्वारा नन्दा तीर्थं की प्रशंसा; नन्दा माहात्म्य; नन्दा पुरी का वर्णन; पूजा के विभिन्न माध्यम साधकों द्वारा अपनाये जाने वाले नियम नन्दा के प्रिय स्थान मन्त्रोद्वार का वर्णन एवं मुद्रा वर्णन ।
इलोक ६०
अध्याय ६४
पू० ३५६-३५६ सुनन्दा देवी के स्थान का वर्णन कल्हणेश्वर, शूलभेद और वैश्रवणपुर आदि का वर्णन । श्लोक ५० पृ० ३६०-३६३
कन्यकापुर का वर्णन एवं माहात्म्य; नन्दा एवं शिव की एकरूपता ।
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