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श्लोक म
महाधर्मासुर का देवताओं के साथ युद्ध एवं देवी द्वारा उसका वध |
श्रध्याय ४१ -
श्रध्याय ४२
देवताओं द्वारा देवी की प्रशंसा कामरूप, नरेन्द्र, कान्यकुब्ज आदि
श्लोक १६; जालन्धर, मलय, सह्य, विन्ध्य, हिमालय, उड्रदेश, स्थानों का वर्णन ।
१० १६६
श्रध्याय ४३-
इलोक ६७
पु० १६९-१७३ पुष्पक विद्या की प्रशंसा; श्रमयासुर की कहानी, गजानन द्वारा श्रमयासुर का वध; युद्ध विद्या एवं विभिन्न म्यूहों का विशद वर्णन |
अध्याय ४४
श्लोक १३
पृ० १७४
गजानन द्वारा मालव्य पर्वत पर प्रस्थान; परशुराम द्वारा अयोध्या में कालिका की स्थापना महोदय क्षेत्र में नवदुर्गा पूजा का माहात्म्य देवी के अनेक नामों का वर्णन । अध्याय ४५श्लोक १० पृ० १७५ १७६ नक्षत्र पूजा के लिये शुभ दिन एवं स्कन्द, सूर्य, विष्णु, विनायक और उमा आदि देवीदेवताओं की पूजा के लिए शुभ दिन का चयन; पूजा विधान ।
पृ० १६७-१६६
श्रध्याय ४६
श्लोक १३;
पृ० १७७-१८३ देवी से संसार की उत्पत्ति देवताओं का प्रादुर्भाव नक्षत्रों का भारत के विभिन्न प्रदेशों
पर प्रभाव ।
श्लोक २०:
श्रध्याय ४८ --
पूर्णिमा और अमावस्या का विचार अमावस्या के दिन चन्द्रमा का वर्णन ।
श्लोक ३१:
श्रध्याय ४६
अध्याय ४७
श्लोक ३८
पृ० १०४ १०६ काल विभाजन; नक्षत्रों के नाम एवं उनकी स्थिति; सात लोकों के नाम और उनके अधिष्ठातृ देवता ।
सूर्य ग्रहण एवं चन्द्रग्रहण का वर्णन ।
पृ० १०७-१८०
० १८६-१९१
श्लोक ३५०
अध्याय ५०
एवं तामसिक रूपों का विभाजन और वर्णन;
देवी के सात्त्विक रूपों, राजसिक रूपों देवी प्रतिमाओं का वर्णन एवं मान; निर्माणविधि और पूजा देवी के ६० स्वरूपों का वर्णन. एवं अन्य देवताओं का वर्णन |
५० ११२-२१३
अध्याय ५१
श्लोक ३१;
० २१४-२१५ देवी शास्त्र निष्णात व्यक्ति देवी पूजा कराने में समर्थ; देवी पूजक को शिव, सूर्य, ब्रह्मा,
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