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अध्याय ६श्लोक १२+४५,
पृ० २५-२८ ब्रह्मा द्वारा विष्ण का स्तवन; दस अवतारों का वर्णन; विष्णु द्वारा चामुण्डा की स्तुति
एवं चामुण्डा द्वारा सहायता का वचन । अध्याय ७श्लोक ६७
पृ० २६-३४ ब्रह्मा और विष्णु का शिव की शरण में जाना एवं स्तुति; शिव द्वारा देवी का विन्ध्याचल
में अवतार वर्णन एवं देवी महिमा वर्सन। .. अध्याय ८श्लोक ५७;
पृ० ३५-३८ . नारद का कुशद्वीप गमन एवं राजा वज्रदण्ड और उसकी रानियों को धर्मपथ से विमुख
कराना; विन्ध्याचल में सन्दर कन्या के विषय में वर्णन । अध्याय 8श्लोक ७३;
पृ० ३६-४८ ... पदमालिनी मन्त्रविद्या का वर्णन; घोर का धर्म विमुख होना और उसकी रानी द्वारा . अच्छी सलाह देना। अध्याय १०
श्लोक १२४;
- पृ० ४६-५७ - - सनत्कुमारों द्वारा नारद को पदमाला विद्या का उपदेश ; शव योग का विशद वर्णन ।
अध्याय ११श्लोक ५७;
पृ० ५८-६१ शिव द्वारा ब्रह्मा को उपदेश; अपराजिता विद्या का माहात्म्य एवं प्रसार ; विष्णु द्वारा ।
इन्द्र को ध्वजप्रसन। अध्याय १२श्लोक ६१
पृ० ६२-६५ इन्द्रध्वज बनाने की विधि, उसकी सामग्री का वर्णन; राजाओं द्वारा इन्द्र ध्वज महोत्सव
का मनाया जाना। अध्याय १३
श्लोक ८;
पृ०६६-७१ नारद द्वारा घोर और उसकी रानी को धर्म-विमुख बनाया जाना; रानी द्वारा दिगम्बर.. मत के प्रति अनुरक्ति; पर्वत कन्या का उपभोग करने के लिये घोर द्वारा सेना सहित प्रस्थान ; विन्ध्य वर्णन ; घोर द्वारा देवी का दर्शन एवं दुःस्वान ।
। अध्याय १४
श्लोक २६; असुरों का जया देवी और विजया देवी से युद्ध ; काल एवं भैरव आदि दैत्यों का वध । अध्याय १५श्लोक २३;
पृ० ७५-७६ "' इन्द्र द्वारा जया स्तुति, जया का वज्रदण्ड के साथ युद्ध एवं उसका वध । अध्याय १६
श्लोक ४२;
.. पृ० ७८-८० घोर द्वारा देवी के साथ युद्ध ; नारद द्वारा देवी स्तुति ; देवी के ४० विभिन्न नाम; देवी द्वारा अवतार लेने का वचन एवं घोरवध की प्रतिज्ञा।
पृ० ७२-७४
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