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________________ में चेदि राजवंश के सम्राट सुलोचन और उनके उत्तराधिकारी सम्राट शोभनराय ने राज्य किया। शोभनराय चेटक का पुत्र था। अतः जंबू स्वामी जी के आशीर्वाद से जैनधर्म में प्रगाढ़ आस्था रखने वाला श्रावक था। वीर. नि. 23 में देवचन्द्र नामक सुश्रावक ने भद्रेश्वर तीर्थ में भगवान् श्री पार्श्वनाथ जी का मंदिर बनवाया था, जिसकी प्रतिमाओं पर वासक्षेप जंबू स्वामी जी द्वारा ही डाला गया था। कालधर्मः आचार्य जंबू स्वामी जी इस काल के अंतिम सर्वज्ञ और अंतिम मोक्षगामी थे। वीर निर्वाण संवत् 64 (ईसा पूर्व 463) में 80 वर्ष की आयुष्य में जंबू स्वामी जी का निर्वाण हुआ और जन-जन को ज्ञान रश्मियों से आलोकित कर मुक्ति वधू के वरण से शाश्वत सिद्ध-बुद्ध अवस्था को प्राप्त हुए। उनके निर्वाण के पश्चात् जंबूद्वीप के भरत क्षेत्र में 10 वस्तुएं विलुप्त हो गई. 1. मनः पर्यव ज्ञान, 2. परमावधिज्ञान, ____3. पुलाकलब्धि, 4. आहारक शरीर, 5. क्षपक श्रेणी, 6. उपशम श्रेणी, 7. जिनकल्प, 8. केवलज्ञान 9. मोक्ष और 10. तीन चारित्र (परिहार विशुद्धि, सूक्ष्म संपराय, यथाख्यात), इनके बाद भरत क्षेत्र से मोक्ष के द्वार बंद हो गए। --- ..... -- महावीर पाट परम्परा 15
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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