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विनय-विवेकी था। उसके युवावस्था में प्रवेश करते ही माता-पिता ने अपने एकमात्र पुत्र का विवाह - समुद्रश्री, पद्मश्री, पद्मसेना, कनकसेना, नभसेना, कनकश्री, कनकवती, जयश्री - इन आठ कन्याओं के साथ करने का निश्चय किया। किंतु 16 वर्ष के जंबू कुमार का हृदय तो सुधर्म स्वामी जी से प्रभावित होकर वैराग्य रस से ओत-प्रोत हो रहा था। ___भगवान् महावीर के प्रथम पट्टधर आचार्य सुधर्म स्वामी जी की धर्मदेशना सुनकर जंबूकुमार के हृदय में वैराग्य के बीज सुदृढ़ हुए। उसने दीक्षा लेने की भावना अभिव्यक्त की किंतु गुरुदेव ने समझाया कि बिना माता-पिता की आज्ञा से दीक्षा संभव नहीं है। माता-पिता की आज्ञा लेने के लिए वह घर की ओर गया।
जब जंबू कुमार घर की ओर जा रहा था, तब रास्ते में यंत्र से उठाया हुआ एक पत्थर जंबू के पास आकर गिरा। तब जंबू ने विचार किया कि यदि यह तोप का गोला मुझे अभी लग जाता, तो मेरी अव्रत अवस्था में ही मृत्यु हो जाती। अतः कम से कम अभी सुधर्मस्वामी जी के पास पुनः लौटकर श्रावक के सम्यक्त्व मूल 12 व्रत तो ले ही लेने चाहिए। अतः वह वहीं से वापिस सुधर्म स्वामी जी के पास गया एवं श्रावक के 12 व्रत लिए तथा चौथे व्रत में ऐसा त्याग किया कि माता-पिता के आग्रह से यदि विवाह भी करना पड़े, तो भी विषय भोग नहीं करूँगा। उसके बाद वह फिर से दीक्षा की आज्ञा लेने घर की ओर चल पड़ा।
जंबू कुमार ने अपने माता-पिता से दीक्षा की आज्ञा माँगी। इकलौते पुत्र की ऐसी भावना सुन माता-पिता सन्न रह गए। माता-पिता ने उसे बहुत समझाया किंतु वे सफल न हुए। माता को लगा कि एक बार इसका विवाह हो जाएगा तो भोग सम्पन्न जीवन में व्यस्त होकर दीक्षा के विचारों का त्याग कर देगा। अंततः उन्होंने कह दिया कि हम तुम्हारी दीक्षा में बाधा नहीं बनना चाहते किंतु 8 कन्याओं के साथ तुम्हारा सम्बन्ध हो गया है। विवाह के लिए हम वचनबद्ध हैं। तुम हमारे आज्ञाकारी पुत्र हो। अतः अभी हमारी बात स्वीकार करो। ___न चाहते हुए भी जंबू कुमार को माता-पिता की आज्ञा स्वीकार करनी पड़ी। मंगलवेला में धूमधाम से जंबू कुमार का विवाह सम्पन्न हुआ। आभूषणों से सुसज्जित अप्सराओं जैसी 8 बहुओं से धारिणी का हृदय आनंद विभोर हो गया। दहेज से प्राप्त 99 करोड़ की राशि से
आंगन भी शशिमहल की तरह चमक रहा था। एक ओर 500 साथियों के साथ चोर प्रभव ने धन की चोरी के उद्देश्य से घर में प्रवेश किया और दूसरी ओर विवाह की प्रथम रात्रि पर आठों पत्नियों के मध्य बैठा जंबू त्याग और विराग की चर्चा कर रहा था। विवाह रात्रि
महावीर पाट परम्परा