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2) सूत्रकृतांग सूत्र - इसमें लोक, अलोक, जीव, अजीव, स्वसमय, परसमय आदि का
निर्देशन एवं क्रियावादी, अक्रियावादी आदि 363 पाखंड मतों पर चिन्तन किया है। स्थानांग सूत्र - इसमें 1 से लेकर 10 तक के भेदों वाली ज्ञानवर्धक वस्तुओं / स्थानों पर विशद वर्णन है। प्रथम प्रकरण में 1-1, दूसरे में 2-2 इत्यादि अनुक्रम से हैं। समवायांग सूत्र - इसमें भी स्थानांग की भाँति 1 से 100 तथा उत्तरोत्तर क्रम के संग्रह
कोश रूप भी विविध ज्ञानवर्धक वस्तुओं का समावतार है। 5) व्याख्या प्रज्ञप्ति (भगवती सूत्र) - प्रश्नोत्तर शैली में निबद्ध इस आगम में प्रभु वीर
द्वारा गौतमादि शिष्यों को प्रदान किए गए 36000 प्रश्नों के समाधान संकलित हैं। 6) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र- इसमें उदाहरण और उपदेश प्रधान धर्मकथाएं संग्रहित हैं। मेघकुमार,
थावच्चापुत्र, धन्ना सार्थवाह, मल्लिनाथ जी आदि कथाएं व अनेक उपदेशात्मक अध्ययन
इसमें हैं। 7) उपासकदशांग सूत्र - इसमें भगवान् महावीर के 12 व्रतधारी प्रमुख 10 उपासकों
(श्रावकों) के साधनामयी जीवन का उल्लेख है एवं श्रावक की आचार संहिता का सुंदर
प्रस्तुतीकरण किया गया है। 8) अन्तकृद्दशांग सूत्र - इसमें गजसुकुमाल मुनि, अर्जुनमाली, अतिमुक्तक मुनि, सुदर्शन
अणगार आदि महापुरुषों का वर्णन है, जिन्होंने भौतिकता पर आध्यात्मिकता से विजय
प्राप्त कर मोक्षपद को प्राप्त किया। 9) अनुत्तरौपपातिक-दशांग सूत्र - इस अंग में धन्ना अणगार आदि महापुरुषों का चरित्र
है, जिन्होंने घोर तपश्चरण कर विशुद्ध संयम की साधना की तथा कर अनुत्तर विमान
देवलोक में देव बने। 10) प्रश्न व्याकरण सूत्र - इसमें 108 प्रश्न, 108 अप्रश्न आदि तथा अनेकों मंत्र विद्याएं थीं,
किन्तु आज कालप्रभाव से इस विषय के स्थान पर आश्रव और संवर का विशद विवेचन
लिपिबद्ध है। 11) विपाक सूत्र - कर्म के फल को विपाक कहते हैं। इसमें मृगापुत्र आदि 10 दुःखविपाक
और सुबाहु आदि 10 सुखविपाक की कथाएं हैं। कर्मसिद्धांत को यह ग्रंथ सुंदर रूप में पुष्ट
करता है। महावीर पाट परम्परा