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उद्योत विजय जी - इनकी शाखा भिन्न निकली।
जीव विजय जी - ये अनेक लोकप्रिय स्तवन, सज्झायों के सर्जक थे। सकल तीर्थ वंदना, अवधु सदा मगन में रहना आदि इनकी रचनाएं थीं।
माता मरूदेवी के नंद, श्री आदीश्वर अन्तर्यामी आदि के रचनाकार
संस्कृत गद्य में अट्ठाई व्याख्यान की रचना की ।
माणेक विजय जी
लक्ष्मी विजय जी
महावीर पाट परम्परा
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