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________________ कालधर्म : विहार करते-करते आनंदविमल सूरि जी शिष्य परिवार सहित राजनगर (अहमदाबाद) पधारे। आचार्यश्री का शरीर धीरे-धीरे अशक्त होता चला गया। अनेक व्याधियां उत्पन्न हो गई। संघ ने अनेक उपचारों से गुरुदेव को पुनः स्वस्थ करने का प्रयत्न किया किंतु असफल रहे। आचार्यश्री को आभास हो गया कि उनकी आयुष्य अल्प है। अतः उन्होंने अनशन व्रत स्वीकार किया। नवमें उपवास में निजामपुरा (अहमदाबाद) में वि.सं. 1596 चैत्र सुदि 7 (5) को प्रातः काल में 59 वर्ष की आयु में कालधर्म को प्राप्त हुए। महातपस्वी, क्रियोद्धारक, सुविहित शिरोमणि आनंदविमल सूरि जी के देवलोकगमन पर श्रावक वर्ग ने शोक मनाया तथा साबरमती नदी के किनारे महोत्सव के साथ अग्नि संस्कार किया एवं स्तूप निर्मित कराया। महावीर पाट परम्परा 206
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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