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________________ _ 'इतिहास' शब्द 'इति+ह+आस' से बना है, अर्थात् निश्चित रूप से ऐसा हुआ था। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए हिस्ट्री शब्द का प्रयोग करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है बुनना। ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित रूप से पिरोना एवं जैसा हुआ, वैसा चित्रण करना - इतिहास है। वर्तमान काल और भविष्यकाल के लिए भूतकाल एक आदर्श प्रेरणा भी बन सकता है और सीख भी। इतिहास, इसी कारण से पठनीय एवं ग्रहणीय विषय होता है। जिनशासन के दीर्घकालीन इतिहास में पाट परम्परा का विशेष महत्त्व है, अतः उसमें निष्पक्षता एवं तटस्थता के विषय में विश्वसनीयता रखना भी अति आवश्यक है। सुधर्म स्वामी जी से लेकर आज तक की पाट परम्परा किंचित् मात्र भी कल्पना. अथवा अनुमान पर आधारित नहीं है। इसमें किसी प्रकार का भी संदेह नहीं करना चाहिए। इसका वर्णन तथ्यपूर्ण इतिहास सामग्री के सत्य धरातल पर किया गया है। कई व्यक्ति यह प्रश्न करते हैं कि हमें कैसे पता चला कि कौन किसके गुरु थे, कौन किसके शिष्य थे, किसका कालधर्म कब हुआ, किसने प्रतिष्ठा कब कराई, इत्यादि नाना प्रकार की बातों का वर्णन किस आधार पर किया जाता है? इसे सरल रूप से समझना आवश्यक है। मानो आज कोई गुरुदेव हैं। उनकी आचार्य पदवी की पत्रिका छपी। वे कहीं पर अंजनश्लाका-प्रतिष्ठा कराते हैं तो उसकी भी पत्रिका छपती हैं। जो लाभ लेते हैं, वो भी इसका प्रचार करते हैं। वे गुरुदेव कोई पुस्तक लिखते हैं, तो उसमें भी उनका परिचय छपता है। उनके नाम से अनेकों लोग परिचित होते हैं। गुरुदेव के कालधर्म पश्चात् उनके शिष्य अपने शिष्यों को बताते हैं कि हमारे गुरुदेव कैसे थे? उन्होंने क्या-क्या कार्य किये थे। मानो उसके 50-100-200 वर्षों बाद कोई इतिहास लिखेगा तो पत्रिका, पुस्तकों, प्रतिमा-लेखों, अनुश्रुतियों के आधार से प्रामाणिक तथ्यों से परिपूर्ण सामग्री की रचना करेगा फिर भले ही वे पत्रिका या पुस्तकें कभी धूमिल भी हो जाएं लेकिन ग्रंथ, प्रतिमाएं आदि सदियों तक इतिहास की गवाही देंगी। स्थूल रूप से देखा जाए तो इतिहास इसी प्रकार लिखा गया है। उसमें कल्पनाओं का स्थान नहीं होता। हाँ, कई बार अतिशयोक्ति अलंकार अथवा बढ़ा चढ़ाकर लिखना या पक्षपातपूर्ण स्वदृष्टि से इतिहास लिखना घातक होता है। xviiil
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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