SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का रोचक वर्णन है। इसकी रचना संघपति हेम की विनती पर आचार्यश्रीजी ने की थी। संघ व्यवस्था : वि.सं. 1377 में वर्षा के अभाव में गुजरात में भयंकर दुष्काल पड़ा था। उस समय इन्होंने अपने गच्छ का कुशल संरक्षण व मार्गदर्शन किया। गच्छ के संचालन व व्यवस्था के लिए इन्होंने पदम्तिलक जी, जो इनसे दीक्षा में एक वर्ष बढ़े थे, उनको आचार्यपद प्रदान किया एवं अनुक्रम से अपने भी 3 प्रभावक शिष्यों का आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया1) आचार्य चंद्रशेखर सूरि - इनका जन्म वि.सं. 1373 में हुआ। बारह वर्ष की आयु में इन्होंने दीक्षा ली और 20 वर्ष की आयु में आचार्य बने व वि.सं. 1423 में कालधर्म को प्राप्त हुए। वे मंत्र शास्त्र में निपुण थे एवं छोटे बड़े उपद्रवों का निराकरण करने में समर्थ थे। आचार्य जयानंद सूरि - इनका जन्म वि.सं. 1380 में हुआ। बारह वर्ष की आयु में ध रानगरी में इनकी दीक्षा, वि.सं. 1420 में आचार्य पद व वि.सं. 1441 में कालधर्म हुआ। उनकी स्थूलिभद्रचरित्र, देवप्रभस्तोत्र, साधारण जिनस्तोत्र आदि कृतियां उल्लेखनीय हैं। अनेकों ब्राह्मणों को भी इन्होंने प्रतिबोधित किया। आचार्य देवसुंदर सूरि - आचार्य सोमतिलक सूरि जी ने कोडिनार में अंबिका देवी को साक्ष्य कर अगला गच्छनायक कौन हो, ऐसा पूछा। अतः उन्होंने देवसुंदर सूरि को अपना पट्टधर घोषित किया। जयानंद सूरि जी का भी वे पूर्ण बहुमान करते थे। कालधर्म : . ग्रामानुग्राम विचरण कर सर्वविरति एवं देशविरति धर्म से लोगों को जोड़ते-जोड़ते 69 वर्ष की आयु में वे वि.सं. 1424 में कालधर्म को प्राप्त हुए। शिष्य आचार्य चंद्रशेखर का जिस वर्ष कालधर्म हुआ, उसके अगले ही वर्ष इनका भी स्वर्गवास सभी के लिए आघात रहा। 'गुर्वावली' ग्रंथ के अनुसार उस दिन आकाश में विशिष्ट प्रकाश छाया तथा देवी पद्मावती ने सभी चतुर्विध संघ को सूचित किया कि आचार्य सोमतिलक सूरि जी स्वर्ग में सौधर्मेन्द्र समान देव बने हैं। 3) महावीर पाट परम्परा 161
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy