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ने ‘णमो अरिहंताणं' के 110 अर्थ किए। आचार्य देवरत्न सूरि जी ने 'णमो लोएसव्वसाहूणं' में 'सव्व' के 36 अर्थ किए। महोपाध्याय समयसुंदर गणि ने 'राजानो ददते सौख्यं' पर अष्टलक्षार्थी विवरण रचा। इसी श्रृंखला में सोमप्रभ सूरि जी का शतार्थी कल्याण सार काव्य भी है। यह श्लोक इस प्रकार है
कल्याणसारसवितानहरेक्षमोहकान्तारवारणसमानजयाद्यदेव।
धर्मार्थकामदमहोदयवीरधीरसोमप्रभावपरमागमसिद्धसूरेः॥" इस श्लोक पर सोमप्रभ सूरि जी ने स्वोपज्ञवृत्ति भी रची, जिसमें इसके 100 अर्थ घटित किए हैं। पहले नाम दिए हैं फिर एक-एक करके रहस्य बताकर अर्थ घटित किए हैं(1-24) तीर्थंकर (25) पुंडरिक (26) सूरि (27) उपाध्याय (28) सिद्ध (29) मुनि (30) गौतम स्वामी (31)सुधर्म स्वामी (32-36) पंच महाव्रत (37) आगम (38) श्रुतदेवी (39-42) चार पुरुषार्थ (43) विधि (44) नारद (45) वेद (46) विष्णु (47) बलदेव (48) लक्ष्मी (49) प्रद्युम्न (50) चक्र . (51) शंख (52) शिव (53) पार्वती (54) स्कन्द (55) हेरंब
(56) कैलाश (57-65) नवग्रह (66-72) आठ दिग्पाल (73) जयन्त (74) धन (75) मदिरा (76) सोना (77) समुद्र (78) सिंह (79) घोड़ा (80) हाथी (81) कमल (82) सर्प . (83) शुक्र (84) अरण्य (85) मानसरोवर (86) धनुष (87) अस्त्रवैध(88) हनुमान (89) पत्नी (90) आ. सिद्धसेन दिवाकर
(91) आ. हरिभद्र सूरि (92) आ. वादिदेव सूरि
(93) आ. हेमचन्द्र सूरि (94) राजा सिद्धराज
(95) राजा कुमारपाल (96) राजा अजयपाल
(97) राजा मूलराज (98) कवि धनपाल, सिद्धपाल (99) आ. अजितदेव सूरि (100) आ. विजयसिंह सूरि
(101) शतार्थी सोमप्रभ सूरि
महावीर पाट परम्परा
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