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13) गाथाकोश
गाथा 304 14) प्रश्नावली
उपदेश पद सुख संबोधिनी टीका (पाटण वि.सं 1171) 14,000 श्लोक प्रमाण कर्मप्रकृति विशेष वृत्ति
ग्रं. 1950 17) धर्मबिंदु वृत्ति
सं. 1181 ललितविस्तरा पंजिका
ग्रं. 1800 अनेकान्त-जय-पताकोद्योत-दीपिका-टिप्पणम् 20) शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन . श्लोक 10
कलिकुंड पार्श्वनाथ स्तवन श्लोक 10 सम्यक्त्वोत्पाद विधि
गाथा 29 मंडण विचार कुलक
गाथा 25 24) काल शतक
गाथा 100 25). शोकहर उपदेशक कुलक 26) देवेन्द्र नरकेन्द्र प्रकरण वृत्ति मूल चिरंतनाचार्य द्वारा विरचित 27) सूक्ष्मार्थ सार्धशतक पर चूर्णि वि.सं. 1170 28) नैषधकाव्य टीका
श्लोक 1200 29) द्वादश वर्ग (बारसवयं)
गाथा 94, आषाढ सुदि 3 वि.सं. 1186 30) सुहुमत्थविचारलव
अप्राप्य वि.सं. 1170 इसके अलावा भी आचार्य मुनिचंद्र सूरि जी की अनेक कृतियां प्राप्त होती हैं। श्रुतप्रभावना के क्षेत्र में उनका कार्य महनीय था। उस समय के कई लेखकों ने प्रशस्तियों में सैद्धांतिक सहायता हेतु मुनिचंद्र सूरि जी का आभार व्यक्त किया है, जिससे ज्ञात होता है कि आचार्यश्री जी का ज्ञान के प्रति कितना अनुराग था। संघ व्यवस्था : ____ काल के प्रभाव से कई वर्षों तक जो सुलभ निर्दोष वसति संवेगी साधु भगवन्तों को नहीं
महावीर पाट परम्परा
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