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________________ (अर्धमागधी) भाषा में ये लिपिबद्ध हुए। ऐतिहासिक क्रम में आगमों का लेखन एक क्रांतिकारी कदम था। इन 84 में से भी वर्तमान में 45 आगम प्राप्त हैं। इन आगमों के अतिरिक्त भी अनेकानेक ग्रंथ व शास्त्र इस समय में लिपिबद्ध हुए। जैसे-जीवसमास, नयचक्र, पंचसंग्रह, प्रतिष्ठाकल्प, अंगविद्या, ज्योतिष करंडक, ज्योतिष प्राभृत, पद्मचरित्र इत्यादि। आगम लेखन कार्य से उन्होंने जिस प्रकार वीतराग वाणी को दीर्घकालवत्ता प्रदान की है एवं जैन आगम निधि को सुरक्षित करने का महनीय कार्य किया है, उसके लिए जैन शासन उनका युगों-युगों तक आभारी रहेगा। लगभग इसी समय संवत्सरी पर्व पंचमी से चौथ को मनाया जाने लगा, जिसका सर्जन आचार्य कालक (चतुर्थ) ने किया। वि.सं. 993 के आसपास आनंदपुर (वढनगर) से पर्युषण पर्व में कल्पसूत्र का चतुर्विध संघ के समक्ष वांचन प्रारंभ हुआ। महावीर पाट परम्परा 93
SR No.002464
Book TitleMahavir Pat Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChidanandvijay
PublisherVijayvallabh Sadhna Kendra
Publication Year2016
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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