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________________ तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8 57 जिज्ञासा - तीर्थंकरों के नाम किसी कारण विशेष से रखे जाते हैं तो आगामी उत्सर्विणी के तीर्थंकरों के नाम हमें कैसे पता? समाधान - हमारे पास जो भी आगमिक साक्ष्य हैं, वे केवलज्ञानी, चौदहपूर्व धारी आदि विद्वद्जन की विरासत से आए हैं। अतः उन्होंने जो होना है, उसका निर्देश पूर्व में ही कर दिया क्योंकि किसी-न-किसी परिस्थितिवश, उन तीर्थंकरों का नाम वैसा पड़ना ही है। जैसे- आगामी चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर का नाम ‘महापद्म' कैसे पड़ेगा, इसकी चर्चा हम पूर्व में कर आए हैं। अर्थात् कोई न कोई संयोग या निमित्तवश उनका नाम वैसा ही पड़ेगा। ... जिज्ञासा - क्या तीर्थंकरों के छोटे भाई बहन हो सकते हैं? समाधान - बिल्कुल। तीर्थंकर के छोटे भाई बहन हो सकते हैं। तीर्थंकर मल्लि के छोटे भाई का नाम मल्लदिन्न था। तीर्थंकर अरिष्टनेमि के भी 3 छोटे भाई थे- रथनेमि, सत्यनेमि, दृढ़नेमि। अतः तीर्थंकर के छोटे भाई बहन हो सकते हैं, ऐसा कहने में कोई भी शास्त्रीय बाधा नहीं है। जिज्ञासा - क्या गृहस्थावस्था में तीर्थंकर जिनपूजा करते है? समाधान - जिनपूजा की आवश्यकता सम्यक्त्वप्राप्ति व सम्यक्त्व को विशुद्ध व निर्मल रखने के लिए होती है। किन्तु निष्पक्ष विचार करने पर यह स्पष्ट होता है कि तीर्थंकरों को जिनपूजा की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। वे तो स्वयं द्रव्य तीर्थंकर की अवस्था में जी रहे होते हैं। अत: वे सामान्य रूप से जिनपूजा नहीं करते किन्तु शत्रुजय माहात्म्य आदि ग्रंथों में कुछ तीर्थंकरों द्वारा जिनपूजा करने का वर्णन किया गया है। जिज्ञासा - लोग कहते हैं कि जब चण्डकौशिक सर्प ने महावीर स्वामी को छद्मस्थावस्था में डसा तो दूध की धारा बही। क्या यह सही है? समाधान - जब चंडकौशिक नाग ने तीर्थंकर महावीर को डसा, तो रक्त ही निकला, किन्तु तीर्थंकर का रक्त ही श्वेत वर्ण का होता है, इसलिए लोग उसे दूध समझते हैं जबकि वो रक्त (खून) ही होता है।
SR No.002463
Book TitleTirthankar Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
PublisherPurnapragnashreeji, Himanshu Jain
Publication Year2016
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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