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तीर्थंकर : एक अनुशीलन 8829
भवनपति देवों के दस भेद होने से प्रत्येक के उत्तर एवं दक्षिण के इन्द्र होने से कुल 20
इन्द्र होते हैं। यथा
भवनपति देव की जाति
उत्तर दिशा के इन्द्र
बलीन्द्र ( वैरोचन)
भूतानन्द विचित्रपक्ष (वेणुदालि)
सुप्रभकान्त (हरिसह)
तेजप्रभ (अग्निमाणव )
रूपप्रभ ( वसिष्ट ) जलप्रभेन्द्र
सिंहविक्रमगति (अमितवाहन)
9. वायुकुमार
रिष्ट (प्रभंजन) महानन्द्यावर्त (महाघोष)
10. स्तनितकुमार
ज्योतिष देव असंख्य एवं उनके प्रतिनिधि इन्द्र - रूपेण सूर्य एवं चन्द्र ये दो इन्द्र कहे जाते
1. असुरकुमार
2. नागकुमार
3. सुवर्ण (सुपर्ण) कुमार
4. विद्युत्कुमार
5. अग्निकुमार
6. द्वीपकुमार
7. उदधि
8. दिशाकुमार ( दिक्कुमार)
हैं।
1. पिशाच
2. भूत
3. यक्ष
दक्षिण दिशा के इन्द्र
चमरेन्द्र
धरणेन्द्र
वेणुदेव
हरिकान्त
अग्निसिंह
पूर्ण
4. राक्षस
5. किन्नर
6. किम्पुरुष
7. महोरग (भुजंग) 8. ध
जलकान्तेन्द्र
अमितगति
प्रज्ञापना, स्थानांग इत्यादि सूत्रागमों में अन्य इन्द्रों का भी वर्णन प्राप्त होता है। आठ प्रकार के व्यन्तरं देवों के 16 इन्द्र
व्यन्तर देवों के नाम
वेलम्ब
घोष
दक्षिण दिशा के इन्द्र
कालेन्द्र
सुरूपेन्द्र
पूर्णभद्रेन्द्र
भीमेन्द्र
किन्नरेन्द्र
सत्पुरुषेन्द्र अतिकायेन्द्र
गीतरति इन्द्र
उत्तर दिशा के इन्द्र
महाकालेन्द्र
प्रतिरूपेन्द्र
माणिभद्रेन्द्र
महाभीमेन्द्र
किम्पुरुषेन्द्र
महापुरुषेन्द्र
महाकायेन्द्र
गीतयशेन्द्र
भूत, भविष्य और वर्तमान इन तीनों काल में जिस बात को स्वयं अच्छी तरह न जाने, उसके सन्दर्भ में 'यह ऐसा ही है' ऐसी निर्णायक भाषा न बोलें।
दशवैकालिक (7/8)