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चैत्यवृक्ष ऊँचाई (79)
6000 धनुष
5400 धनुष
4800 धनुष
4200 धनुष
3600 धनुष
3000 धनुष
2400 धनुष
1800 धनुष
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9. 1200 धनुष
10.1080 धनुष
11. 960 धनुष
12.
13.
14.
15.
16.
17.
18.
19.
20.
21.
22.
23.
24.
840 धनुष
720 धनुष
600 धनुष
540 धनुष
480 धनुष
420 धनुष
360 धनुष
300 धनुष
240 धनुष
180 धनुष
120 धनुष
27 धनुष
21 धनुष
तीर्थंकर : एक अनुशीलन 888200
(3 गाऊ / 3 कोस)
(2 गाऊ 1400 धनुष)
(2 गाऊ 800 धनुष )
(2 गाऊ 200 धनुष)
( 1 गाऊ 1600 धनुष)
(12 गाऊ)
( 1 गाऊ 400 धनुष)
समवसरण की रचना ( 80 )
48 कोस (144 किलोमीटर) 46 कोस ( 138 किलोमीटर) 44 कोस (132 किलोमीटर) 42 कोस (126 किलोमीटर)
40 कोस (120 किलोमीटर)
38 कोस ( 114 किलोमीटर)
36 कोस (108 किलोमीटर)
34 कोस (102 किलोमीटर)
32 कोस ( 96 किलोमीटर)
30 कोस ( 90 किलोमीटर) 28 कोस 84 किलोमीटर) 26 कोस ( 78 किलोमीटर)
24 कोस ( 72 किलोमीटर)
22 कोस ( 66 किलोमीटर)
20 कोस (60 किलोमीटर)
18 कोस (54 किलोमीटर)
16 कोस (48 किलोमीटर)
14 M 42 किलोमीटर)
12 कोस (36 किलोमीटर)
10 कोस ( 30 किलोमीटर)
8 कोस ( 24 किलोमीटर)
6 कोस ( 18 किलोमीटर)
5 कोस ( 12 किलोमीटर) 4 कोस ( 1 योजन)
विशेष : समवसरण के 2 प्रकार हैं- वृत्त (गोलाकार) और चतुरस्र (चौरस) अशोक वृक्ष नीचे अरिहंत का देवच्छंद (उपदेश देने का स्थान ) होता है एवं चारों दिशाओं में रत्नजड़ित सिंहासन होते हैं व पूर्व द्वार से प्रभु प्रवेश करते हैं।