________________
८७
जैनत्व जागरण.......
peculiar harmony of its shape, justify my speaking of Kailas as the most sacred mountain in the world. Here is a meetingplace of the greatest religions of the East, and the difficult journey round the temple of the Gods purifies the soul from earthly sins.
1
वास्तव में अष्टापद कहाँ है । आज वह क्यों नहीं दिखाई देता ये संदेह हमारे विश्वास को डगमगाता है । यदि हम श्रद्धा और विश्वास तथा आस्था के साथ इस विषय में संशोधन करे तो हमें किसी न किसी रूप में अष्टापद की अवस्थिति की जानकारी अवश्य मिलेगी और ऐसा ही हो रहा है। कैलाश का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत और विशाल है । लगभग पचास से सौ किलोमीटर की परिधि में हमें खोजना होगा । इस क्षेत्र के नीचे सुरंगे और गुफाओं का जाल सा बिछा हुआ है । जिसका एक छोर कैलाश में है और दूसरा Shambhala माना जाता है । तिब्बती बौद्ध साहित्य में Shambhala बहुत रहस्यमय जगह है जहाँ साधारण व्यक्ति का पहुँचना असम्भव है । भगवान महावीर ने भी कहा था कि अष्टापद पर जाना असम्भव है । जो व्यक्ति वहाँ पहुँच सकेगा और दर्शन कर सकेगा वो इसी जन्म में मोक्ष प्राप्त करेगा । गौतम स्वामी ने भी अपनी सिद्धियों के बल पर अष्टापद के दर्शन किए थे | Shambhala के विषय में भी यही कहा जाता है कि जो व्यक्ति शुद्ध एवं निष्पाप होगा, सम्यक् चरित्र का पालन करने वाला होगा वही Shambhala जैसी रहस्यमय जगह को देख सकता है, वहाँ जा सकता है ।
Russian artise Nicholas Roerich ने वर्षों तक सम्भाला की खोज की । अपने चित्रों में, अपने अनुभवों का अंकन किया और इस खोज में वर्षों उस क्षेत्र में भटकते रहे । अनेक वृद्ध लामाओं से भी उन्होंने जानकारी हासिल की और इस संदर्भ में उनकी किताबें भी निकली । आज हमारे लिए अष्टापद और सम्भाला की विचारधारा एक जैसी है ।
विश्ववन्ध तीर्थकर ऋषभ
प्रो. वी. जी. नायर के लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि ऋषभदेव का प्रभाव विश्वव्यापी था । उन्होंने लिखा है कि "भारत के बाहर के देशों में ऋषभदेव रेशिफ, अपोलो, तेशव, बाल और मैडिटेरियन लोगों में बुल गॉड के रूप में पूजे जाते थे । फिनिशियन्स जिन ऋषभ को पूजते है उन्हीं को यूनानी अपोलो
I