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________________ जैनत्व जागरण...... ३३ नामक मुनियों का वर्णन मैगस्थनीज के विवरण में हमें मिलता है जो कि निर्ग्रन्थ मुनि थे । मैगस्थनीज के अनुसार समाज में जिनका बहुत आदर था उन्हें Hylobioi of Allobiol या अर्हत् कहते थे | Its Hierophants were the prophets among the Egyptians, the Chaldeans among the Assyrians the Druids among the Gauls, The Sarmanaeans who were the Philosophers of the Baktrains and the Kelts. The Magi among the Persians and among the Indians the Gymnosophists. (Mc. Crindle's Ancient India) सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्लीनी के अनुसार बेकस से लगातार सिकन्दर तक के समय में भारत वर्ष पर १५४ राजाओं ने राज्य किया । इनका राज्यकाल ६४५१ वर्ष था । अकबर के समय अबुलफजल ने भी कई राजाओं का उल्लेख कर उनका राज्य काल ४१०९ वर्ष बताया है। प्रो. हीरन अपने Historical researches ग्रन्थ में लिखते हैं कि डायोनिज से सम्राट चन्द्रगुप्त के समय तक ६०४२ वर्ष व्यतित हुए । डायोनिज और स्पेटबस भारतीय राजाओं के यूनानी नाम है । कौनट जानस्टार्जन के ग्रन्थ “Theogony of the Hindu” में लिखा है कि चन्द्रगुप्त के समय में उसके राजदरबार में प्रचलित प्राचीन इतिहास तो मैगस्थनीज द्वारा सुनकर इन्डिका में लिखा गया उसके अनुसार चन्द्रगुप्त से ६०४२ वर्ष पूर्व में १५३ राजा हुए । इस प्रकार हमें भारत वर्ष का इतिहास साढ़े आठ हजार वर्ष का प्रमाणित रूप से उपलब्ध होता है । इसकी पुष्टि सर विलियम जोन्स को काश्मीर में 'दविरतान' नामक ग्रन्थ में लिखे एक 'बेरियन' लेख से होती है । जिसमें अनेक राजाओं की नामावली है। जिसमें प्रथम राजा सिकन्दर के आक्रमण में ५६०० वर्ष पूर्व राज्य करता था ( भारतीय सभ्यता और उसका विश्वव्यापी प्रभाव पृष्ठ ४) कैप्टन ड्रायस ने १८४१ ई. के ऐशियाटिक जर्नल में यह सिद्ध किया है कि ३००० ई.पू. भारत में अनेक महान राज्य थे जो सभ्यता और संस्कृति में बहुत ही उन्नत थे । यह बहुत ही खेद का विषय है कि पाठ्य पुस्तकों में जो प्रचलित इतिहास मिलता है उसमें आर्य पूर्व इतिहास का वर्णन नहीं है | यह एक महत्त्वपूर्ण प्रामाणिक तथ्य है कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य अर्हत् संस्कृति को मानने वाले थे । इसीलिए I
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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