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जैनत्व जागरण......
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आजकल स्थानीय लोग खेती में काम करते समय, बकरी, बत्तख आदि की बलि चढ़ाते हैं । उसके बाद वे धान काटने जाते हैं । यह मूर्ति मोटे तौर पर २.८ फुट लम्बा और १.५ फुट चौड़ा है ।
दामोदर नदी से लगभग २ किलोमीटर की दूरी पर बसा है गुरुडी नामक एक छोटा सा गाँव । अंचल के लोगों ने अत्यन्त परिश्रम से तेलकूपी के टूटे हुए पत्थरों को लाकर एक छोटे घर का निर्माण किया था । इस समय घर की छत ढह गई है और सिर्फ चार दीवार ही खड़ी हैं । गुरुडी गाँव में हमे निम्नलिखित मूर्तियां देखने को मिलती है ।
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(१) बाहुबली की मूर्ति : स्थानीय लोगों की भाषा में यह भैरव की मूर्ति है । लेकिन खगेन्द्रनाथ माजी इसे बाहुबली के रूप में चिन्हित करते हैं । मूर्ति की ऊँचाई ५ फुट चौड़ाई के साथ करीब २ फुट ईंच है मूर्ति के ऊपर दोनों तरफ को गंधर्व है, जिनके हाथ में वीणा है और जैसे वे उन्हें बजा रहे हैं | नीचे की तरह दो नारीमूर्ति हाथ में चामर लिये खड़ी हैं । बाहुबली के हाथ में दंड़ सा कोई प्रतीक था जिसका निचला अंश अब नष्ट हो चुका है । मूर्ति के सिर पर मुकुट और कानों में कुंडल है। गुरुड़ी गाँव के लोग उसे तेलकूपी के पानी में से उठा लाए हैं ।
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(२) ऋषभदेव की मूर्ति के सिर का अंश नहीं है । यह उन्हीं चार दीवारों में से एक पर टिक्कर खड़ा है। मूर्ति की औसत ऊँचाई ३ फुट आठ (८) ईंच है | चौड़ाई में २ फुट । नीचे लांछन चिन्ह बैल उत्कीर्ण है । मूर्ति कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़ी है। नीचे चामर हाथ में लिए दोनों तरफ दो नारीमूर्ति । मूर्ति के दोनों तरफ २४ तीर्थंकरों की मूर्ति खुदी हुई थी लेकिन फिलहाल २० तीर्थंकर ही बचे हैं और ऊपर को पंक्ति नष्ट हो चुकी है
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(३) विष्णुमूर्ति : गुरुडी के हाल में बताए एक मंदिर में यह मूर्ति नजर आती है । मूर्ति की औसत ऊँचाई ५ फुट है पर नीचे की तरफ ६ ईंच सीमेंट से ग्रथित किया गया । मूर्ति १.५ फुट चौड़ी है । ऊपर के दोनों हाथों में शंख और चक्र, नीचे बाएं हाथ में गदा और दाहिना हाथ