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________________ २६४ जैनत्व जागरण....... बंधने की, तीर्थ संरक्षण के कार्य को बढ़ावा देने की । समाज की शीर्ष संस्थाओं को आगे आना होगा, इस विषय पर गोष्ठी इत्यादि कर सर्व सम्मति से निर्णय लेना होगा । खंडगिरि तीर्थ क्षेत्र के विषय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारत सरकार, उड़ीसा सरकार से संपर्क कर उन पर दबाव बनाना होगा। १८ वर्षों से उच्च न्यायालय में अपनी सुनवाई की प्रतीक्षा करती एक जनहित याचिका के निर्णय के लिए प्रयास करने होंगे । कार्य. न ही मुश्किल है और न ही नामुमकिन । बस आवश्यकता है जागरूक होने की । सम्राट खारवेल तो मगध के राजमहल से जाकर अपनी राष्ट्र धरोहर को वापस लेकर आए थे लेकिन हम उनके द्वारा सौंपी गई अमूल्य धरोहर को सहेज कर रखने में भी सक्षम नहीं हैं ! आइए इस अमूल्य कार्य में सहयोग करें। अपने - अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रयास करें । तीर्थ सुरक्षा के इस महान कार्य में सहयोग कर असीम पुण्य का बंध करें । जैन धर्म की इस महान संपत्ति को सहेजने का प्रयास करें । I I पुरुलिया : पुरातत्त्व के आलोक में. 1 जैनधर्म ही बंगाल का आदिधर्म हैं । साहित्यिक साक्ष्यों एवं पुरातात्त्विक अवशेषों के समीक्षात्मक अनुशीलन के बल पर यह निस्सन्देह रुप से कहा जा सकता है कि प्राचीन जैन संस्कृती के अमूल्य निदर्शन इस भूमि पर प्राप्त हैं । बंगाल क पुरुलिया अथवा मानभूम विशिष्ट अवशेषों व गौरवपूर्ण इतिहास का धनी है । यहाँ उपेक्षित पडे ज़ैन मंदिरों की दयनीय दुर्दशा हमें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करती है । जैनत्व जागरण का पुनः शंखनाद अति आवश्यक है I पुरुलिया पहले मानभूम के नाम से जाना जाता था । अभी भी, नाम के साथ एवं जनगोष्ठी के साथ मान शब्द जुड़ा हुआ है। जैसे - मानबाजार, मानकियारी, माभ्रसी, मानटाँड, मानजुड़ि, मानग्राम, मानझोपड़ आदि । फिर मानबाजार और पुंचा इलाके में माना बाउरी नाम से एक प्राचीन जनगोष्ठी का पता चलता है । सवाल उठता है कि यह मानभूम शब्द आया कहां I
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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