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________________ जैनत्व जागरण...... २५४ पहले राज्य किया । जब सर्वज्ञ होकर भगवान ऋषभदेव ने आर्यखंडों में विहार किया तब वह कलिंग देश भी पहुँचे थे। उनके धर्मोपदेश से प्रभावित होकर तत्कालीन कलिंग राजा अपने पुत्र को राज्य देकर मुनि हो गए । कलिंग प्रारंभ से ही जैन धर्म का प्रमुख केंद्र था । तीर्थंकर भगवंतों का यहाँ कोई कल्याणक तो नहीं हुआ किंतु तीर्थंकरों का विहार कलिंग में बराबर होता रहा । भगवान ऋषभदेव, पार्श्वनाथ और महावीरं का विहार तो यहाँ कई बार हुआ और उन्होंने अपनी दिव्य देशना से जीवों का उद्धार किया । अत: यहाँ जैन धर्म का अत्यधिक प्रभाव रहा और जैन धर्म यहाँ का राष्ट्र धर्म बन गया । राजा श्रेणिक (बिम्बसार) की रानी धनश्री के पुत्र गजकुमार के निर्वाण प्राप्ति का स्थान कलिंग देश ही है । कलिंग देश में स्थित कोटिशिला से राजा दशरथ (जशरथ/यशोधर) के पांच सौ पुत्र मोक्ष को पधारे । यहाँ से एक करोड़ मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया है । सारांशत: एक अतीत काल से कलिंग जैन मुनियों के पवित्र चरण कमलों से अलंकृत हो चुका है । कलिंग का राजकीय इतिहास - इक्ष्वाकुवंश के कौशलदेशीय क्षत्रिय राजाओं के उपरांत. कलिंग में हरिवंश के राजाओं ने राज्य किया । भगवान महावीर सर्वज्ञ होकर जब कलिंग में आकर धर्मोपदेश दिया तो उस समय कलिंग के जितशत्रु नामक राजा मुनि हो गए और अनेक राजाओं ने भी दीक्षा धारण की ।“ ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में नंदवंश के प्रतापी नरेश महापद्मनंद ने कलिंग पर आक्रमण कर दिया । इस युद्ध में कलिंग को पराजित होना पड़ा। विजय प्रतीक के रूप में महापद्मनंद कलिंग जिन की प्रतिमा को अपने साथ पाटलिपुत्र ले गया । कलिंग जिन की यह प्रतिमा भगवान ऋषभदेव की एक प्राचीन और अमूल्य प्रतिमा थी और कलिंग में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान्य थी । अपने आराध्य देव के चले जाने से कलिंग वासियों की भावनाओं को बहुत ठेस पहुँची । इस कथा का समर्थन हाथी गुफा
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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