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________________ जैनत्व जागरण...... २९. अश्वमेघ करनार चक्रवर्ती राजा होता है । ३०. आलू, आदि ज़मीनकंद धार्मिकदृष्टि से खाते है । ३१. रात्रिभोजन पाप नहीं है । ३२. अपुत्रीया को गति नहीं है । (अपुत्रस्य गतिर्नास्त्रि) ३३. शंकर के लिंग की पूजा होती है । ३४. हिमालय में देवो का वास . है । ३५. रावण राक्षस है । ४०. गोंय की पूंछ पकड़ के मोक्ष में जा सकते है । २३ ४१. चित्रगुप्त सभी आत्माओं चोपडे के चोपडे लिखता है । २९. अश्वमेघ करनार महापाप का भागी बनके दुर्गति में जाता 1 ३०. आलू आदि ज़मीनकंद सदा ही वर्जित है । ३१. रात्रि भोजन महापाप है । ३२. अपुत्रीया को मोक्ष में मिल सकता है । पात्र था । ३६. नदी में स्नान करने से मोक्ष मिलता है । 1 ३७. होली विशिष्ट पर्व है ३८. रक्षाबंधन धार्मिक भाई के ३६. नदी में स्नान करने से केवल संसार की वृद्धि होती है । ३७. होली भट्ठा महामिथ्यात्व है । ३८. केवल मिथ्यात्व है । बहन पूरा साल भाई के लिए शुभकामना करती है । प्रति बहन के लगाव का त्योहार है । ३९. मृत्यु यमराज के हाथ में है । ३९. यमराज का तो जैनो ने कभी स्वप्न भी नहीं देखा । ४०. गोंय की पूंछ पकड के केवल होस्पीटल जा सकते है । ३३. मूत्रादिक अशुचि के उत्सर्जन करनार अंग की पूजा कैसे हो सकती है ? ३४. दूसरे पर्वतो जैसा ही पर्वत हिमालय हैं । ३५. रावण मनुष्य था सिर्फ भूल का ४१. आत्माएँ खुद ही अपने कर्म के लिखती है I
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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