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जैनत्व जागरण.....
archaeological importance that has wilfully been flooded without any proper scientific examination. Hundreds of statues have reportedly disappeared from Ichagarh. The recurrent feature of destructive development is the lack of any investigation by the archaeological authorities.
पांचेत डैम के विपरीत दिशा में माइथन डैम का निर्माण किया गया जिसमें अनेक महत्वपूर्ण मंदिर विलीन हो गये । बराकर नदी पर बना यह मंदिर तिलाया डैम से होता हुआ हजारीबाग तक गया है जो एक प्राचीन तीर्थयात्रा पथ था। पूर्व में पावापुरी से संथाल परगना तथा पश्चिम में शाहबाद तक। ये पथ आसनसोल में जी. टी. रोड से मिलकर सिंहभम होता हआ दक्षिण उड़ीसा तक गया है। तिलाया डैम के अन्तर्गत अनगिनत जैन जिनदर्शन पानी में समा गये जिसका आज कोई लेखा-जोखा नहीं है ।..
इस प्रकार दामोदर वैली कॉर्पोरेशन के अन्तर्गत सात बाँध जिनमें तिलाया डैम, कोनार डैम, पत्थराटु डैम, माइथन डैम, लालपानियां डैम, पाचेत डैम, तेनूघाट डैम, और दुर्गापुर बांध के निर्माण में हजारों गाँव जलमग्न हो गये । सिर्फ इच्छा डैम के निर्माण में सत्तासी गाँव जलमग्न हुए जो जैन धर्म के प्रमुख केन्द्र स्थल थे ।
इन डैमों के अलावा कोयला खदानों में से कोयला निकालने के लिये अनेक वर्षों तक आग जलने के कारण दामोदर के निचले क्षेत्र में बाढ़ का प्रकोप बढ़ने के कारण उसका प्रभाव बोकारो और धनबाद के जैन निदर्शनों पर तो पड़ा ही साथ साथ गोवाई, कसाई, कंसावती और सुवर्णरेखा नदियां जो मानभूम सराईकेला खरसावन, पुरुलिया, और सिंहभूम जिलों से होकर बहती है वहाँ के निदर्शनों पर भी पड़ा ।
वर्तमान में दामोदर नदी घाटी के ऊँचे घाट उत्तरी करनपुर घाटी पर निर्मित बांध सुपर थरमल पावर प्रोजेक्ट के कारण सत्तर कोयले की खानों के साथ साथ २०० गाँव को जो प्रागैतिहासिक काल और मौर्यकाल की पाषाण कला के श्रमण संस्कृति प्रभावी क्षेत्र है, अभी नष्ट होने की कगार पर है । इस प्रकार हम देखते हैं कि जहाँ एक ओर आधुनिक भारत के