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________________ जैनत्व जागरण....... २२९ उक्त जटा ग्राम के प्राचीन और विराट मन्दिर या जटार देउल जैनो के हैं । इसी अनुमान के समर्थन में कहा जाता है- अठारहवीं शताब्दी में ईस्ट इण्डिया कम्पनी जब सुन्दरवन को अरण्यमुक्त करने को उद्योगी हुई उसी समय यह मन्दिर प्रकट हुआ । उस समय अंग्रेज सर्वेयर मि. स्मिथ ने जो विवरण दिया उसमें लिखा है कि उन्होंने जटा नामक अंचल के मंदिर में एक ८९ वर्ष के बालक की भाँति मूर्ति देखी थी । मूर्ति दण्डायमान थी । बाद में या वर्तमान स्मिथ साहब वर्णित मूर्ति उक्त मन्दिर में दिखलाई नहीं पड़ी । इससे अनुमान किया जा सकता है कि वह मूर्ति किसी जैन तीर्थंकर की थी । जटार देउल और बाँकुड़ा जिले के बहुलाड़ा के सिद्धेश्वर मन्दिर में गठनगत समानता है । इन दोनों रेख देउल का निर्माणकाल भी प्रायः एक ही है। बहुलाड़ा के मन्दिर के विषय में बहुत-सी आलोचनाएँ और गवेषणाएँ हुई हैं । कुछ ऐतिहासिकों ने अपना अभिमत दिया है कि यह जैन मन्दिर हैं । किन्तु जटार देउल के विषय में अधिक गवेषणा नहीं हुई है । गवेषणा कार्य के लिए निर्भरयोग्य उपादान भी नहीं पाए गए हैं। वन हासिल करने के समय जो फलक प्राप्त हुआ उससे मालूम होता है उक्त मन्दिर राजा जयचन्द्र द्वारा शक्-संवत् ८९७ में तो निर्मित है ही । बहुलाड़ा का सिद्धेश्वर मन्दिर जैन मन्दिर है ऐसा बहुत से गवेषकों का मन्तव्य है । जटार देउल . के साथ कई विषयों में समानता होने से एवं जटा अंचल से जैन निदर्शनों के आविष्कृत होने के कारण यह अनुमान किया गया है कि जटार देउल जैनों का ही मन्दिर है । तीर्थंकर महावीर के समय से भद्रबाहु पर्यन्त (खु. पू. पंचम - षष्ठ शताब्दी से खू. पृ. चतुर्थ शताब्दी) जैन धर्म के प्रचार स्थानों में पुण्ड्रवर्द्धन का उल्लेख है । जटा का यह मन्दिर पुण्ड्रवर्द्धन भुक्ति में था यह ताम्रलिपि से जाना गया है । 1 "सुन्दरवन की सीमा में देलवाड़ी या देउलवाड़ी जंगल में मन्दिरों का जो ध्वंसावशेष आविष्कृत हुआ है वह जैन मन्दिर था । देउल शब्द का अर्थ मन्दिर है | यह हिन्दु, बौद्ध या जैन मन्दिर के सम्बन्ध में प्रयुक्त हो सकता है | किन्तु प्रायः क्षेत्रों में लक्ष्य किया गया है कि देउल अर्थात् मन्दिर या मन्दिरयुक्त क्षेत्र से अतीतकाल की सभ्यता के जो निदर्शन
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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