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________________ १३६ जैनत्व जागरण..... में बनाया गया मंदिर है ऐसा भारतीय सरकार के पुरातत्वविदों द्वारा उल्लेख किया गया है। अशोक : अशोक के शासनकाल की जिस पहली घटना की प्रामाणिक जानकारी हमें है वह राज्याभिषेक के नौ वर्ष बाद होनेवाली कलिंग विजय है । सुवर्णरेखा और गोदावरी नदियों के बीच भारत के पूर्वी तट की लम्बी पट्टी को प्रायः कलिंग कहा जाता है । यद्यपि उसकी अशोककालीन निश्चित सीमा नहीं बतायी जा सकती, तथापि निस्संदेह ही वह एक बहुत और शक्तिशाली राज्य था । अशोक के तेरहवें शिलालेख में एक भीषण युद्ध के पश्चात् कलिंग की विजय का विस्तृत वर्णन किया गया है । इस युद्ध में डेढ़ लाख आदमी पकड़े गये । एक लाख मारे गये थे । उस समय कलिंग का राजा क्षेमराज था जो वैशाली के गण प्रमुख चेटक का वंशज था और जैन धर्मी था । सम्भवतः अशोक ने स्वयं इस युद्ध का संचालन किया था तथा उसकी विभीषिका और उनके परिणामस्वरूप कष्ट और रक्तपात से उसका हृदय विचलित हो उठा । उसके कारण उसके हृदय में जो भावनाएं उठी उनका उसने अपने शिलालेख में उसने इस प्रकार वर्णन किया है । "इस प्रकार कलिंग जीतनेवाले देवानुप्रिय को बड़ा खेद हैं, क्योंकि किसी अविजित देश की विजय में वध, मरण और लोगों का बंदीकरण होता है । यह देवानुप्रिय को अत्यन्त दुःखद और खेदजनक समझता है कि वहां ब्राह्मण, श्रमण तथा दूसरे धर्म वाले और गृहस्थ रहते हैं । ऐसे देश में ऐसे लोगों की हत्या, हिंसा और उनका प्रियजनों से वियोग होता है, अथवा मित्रों, परिचितों, सहायकों और कुटुम्बियों को जो स्वयं तो सुरक्षित हैं और जिनका स्नेह अबाध है, कष्ट होता है। इस प्रकार उनका भी एक प्रकार से उपघात होता है ।" अशोक ने दूर के देशों में धर्म प्रचार के लिए धर्म प्रचारकों का दल भेजा था । उसके धर्म प्रचारकों ने भारत के विभिन्न भागों और लंका का ही भ्रमण नहीं किया, वरन् वे पश्चिमी एशिया, मिस्त्र और पूर्वी यूरोप भी गये । सिर्फ उसके समय मगध में अहिंसा का संदेश जिन विदेशी राज्यों
SR No.002460
Book TitleJainatva Jagaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandroday Parivar
Publication Year
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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