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________________ =अकबर प्रतिबोधक कोन ?== अर्थात् – “सम्राट अन्य सम्प्रदायों की अपेक्षा श्रमणों (जैन साधुओं) और ब्राह्मणों की एकांत परिचय को मान अधिक देता था। उन के सहवास में अधिक समय व्यतीत करता था। वे नैतिक, शारीरिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शास्त्रों में इस धर्मोन्नति की प्रगति में और मानव जीवन की संपूर्णता प्राप्त करने में दूसरे सब (संप्रदायों के) विद्वानों और पंडित पुरुषों से सब प्रकार से श्रेष्ठ थे। वे अपने मत की सत्यता और हमारे (मुसलमान) धर्म के दोष बतलाने के लिये बुद्धिपूर्वक और परम्परागत प्रमाण देते थे। और ऐसी दृढ़ता और दक्षता के साथ अपने मत का समर्थन करते थे कि जिस से उनका केवल कल्पित जैसा मत स्वतः सिद्ध प्रतीत होता था और उसकी सत्यता के लिये नास्तिक भी शंका नहीं ला सकता था।' ऐसे अधिक सामर्थ्यवान जैनसाधु अकबर पर अपना ऐसा प्रभाव डाले, यह क्या संभव नहीं? अकबर ने जब अपने व्यवहार में इतना अधिक परिवर्तन कर डाला था तो इस पर से ऐसा मानना अनुचित नहीं है - 'कि अकबर ने दया संबंधी विचार बहत ही उच्चकोटि तक पहुंच चुके थे।' इस बात की पुष्टि के अनेक प्रमाण मिलते हैं। देखिये बादशाह ने राजाओं के जो धर्म प्रकाशित किये थे, उन में उस ने एक यह धर्म भी बताया था। _ 'प्राणीजगत जितना दया से वशीभूत हो सकता है, उतना दूसरी किसी वस्तु से नहीं हो सकता। दया और परोपकार - ये सुख और दीर्घायु के कारण हैं।' आइने अकबरी की बातें अबुलफ़ज़ल लिखता है कि - ‘अकबर कहता था - यदि मेरा शरीर इतना बड़ा होता कि मांसाहारी एक मात्र मेरा शरीर ही खाकर दूसरे प्राणियों के भक्षण से दूर रह सकते तो कैसा सुख का विषय होता ! अथवा मेरे शरीर का एक अंश काटकर मांसाहारी को खिलाने के बाद भी यदि वह अंश पुनः प्राप्त होता, तो भी मैं बहुत प्रसन्न होता। मैं अपने एक शरीर द्वारा मांसाहारियों को तृप्त कर सकता।' दया संबंधी कैसे सरस विचार ? अपने शरीर को खिलाकर मांसाहारियों की इच्छा पूर्ण करना, परंतु दूसरे जीवों की कोई हिंसा न करे, ऐसी भावना उच्चकोटि की दयालुवृत्ति के सिवाय कदापि हो सकती है क्या ? 1. 2. आइने अकबरी खंड 3 जैरिट कृत अंग्रेजी अनुवाद , पृष्ठ - 383-384. आइने अकबरी खंड 3 पृष्ठ 395. 394
SR No.002459
Book TitleAkbar Pratibodhak Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherMission Jainatva Jagaran
Publication Year
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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