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________________ अकबर प्रतिबोधक कोन ? फ़रमान क्रमांक - 5 अल्लाहु अकबर नकल- प्रतिभाशाली (चमकदार ) फरमान, जिस पर मुहर 'अल्लाहु अकबर' लगी हुई है। तारीख शहरयूर 4 माह महर आलही सन् 37। चूंकि उमदतूल मुल्क सुकनूस सल्तनत उल काहेरात उजदूददौला निजामुद्दीन सइदखाँ जो बादशाह का कृपापात्र है, मालूम हो चूंकि मेरा (बादशाह का ) पूर्ण हृदय तमाम जनता यथा सारे जानदारों (जीवधारियों) के शांति के लिये लगा है कि समस्त संसार के निवासी शांति और सुख के पालन में रहें। इन दिनों में ईश्वरभक्त व ईश्वर के विषय में मनन करनेवाले जिनचंद्रसूरि खरतर भट्टारक को मेरे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, उनकी ईश्वरभक्ति प्रगट हुई । मैने उसको - बादशाही महिरबानियों से परिपूर्ण कर दिया। उसने प्रार्थना की कि इससे पहिले ईश्वरभक्त हीरविजयसूरि तपसीने (हजूर के) मिलने का सौभाग्य प्राप्त किया था, उसने प्रार्थना की थी कि हर साल बारह दिन साम्राज्य में जीववध न हो और किसी चिड़ीया या मच्छी के पास न जाय (न सतावे)। उसकी प्रार्थना कृपा की दृष्टि से व जीव बचाने की द्रष्टि से स्वीकार हुई थी, अब मैं आशा करता हूँ कि मेरे लिये (एक) सप्ताह भर के लिये उसी तरह से (बादशाह का) हुकम हो जाय। इसलिये. हमने पूर्ण दया से हुकम किया है कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में सात दिन जीववध न हो और न सतानेवाले (गैर मूजी) पशुओं को कोई न सतावे, उसकी तफसील यह है : नवंमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णमाशी । वास्तव में बात यह है कि, चूंकि आदमि के लिये ईश्वर ने भिन्न-भिन्न अच्छे पदार्थ दिये हैं, अतः उसे पशुओं को न सताना चाहिए और अपने पेट को पशुओं की कब्र न बनावें; कुछ हेतुवश प्राचीन समय के कुछ बुद्धिमान लोगों ने इस प्रथा को चला दिया था । चाहिये कि जैसा उपर लिखा गया है उस पर अमल करें, इसमें कमी न हो और इसे (हुकम को) कार्यरूप में परिणत करने में बहुत सहनशीलता से काम लें । उपर लिखी तारीख को लिखा गया । अबुलफ़ज़ल व वाक्यानवीस इब्राहीमवेरा। नकल - (1) उड़ीसा और उड़ीसा की सब सरकारें 26 (ओरिसा प्रान्त)
SR No.002459
Book TitleAkbar Pratibodhak Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherMission Jainatva Jagaran
Publication Year
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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